Covid Deaths: कोरोना काल में भारत में हुईं सरकारी आंकड़े से 8 गुना ज्यादा 12 लाख मौतें? मोदी सरकार ने दिया जवाब
Covid Deaths in India: भारत में कोरोना से मौतों के मामले में एक बार फिर ऐसी स्टडी सामने आई है जिसने सभी को चौंका दिया है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने ऑक्सफोर्ड समेत कई यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स के साथ किए अध्यन में दावा किया है कि कोरोना काल के पहले चरण में भारत में सरकारी दावों से आठ गुना ज्यादा मौतें हुईं.
Covid Deaths Data in India: क्या भारत में कोरोना महामारी के पहले चरण में 12 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं? ये सवाल एक बार फिर मुंह उठाकर खड़ा हो गया है. दरअसल नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने अपनी स्टडी को लेकर दावा किया है कि 2020 में कोविड-19 मौतों से हुई मौतों का डाटा केंद्र सरकार के आधिकारिक आंकड़े से आठ गुना ज्यादा है. इससे पहले जुलाई 2021 में भी एक अमेरिकी सर्वे में दावा किया गया था कि जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच भारत में कोरोना से करीब 50 लाख लोगों की मौत हुई. वो सर्वे वॉशिंगटन के सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट ने किया था. उसके मुताबिक, डाटा जुटाने में सीरोलॉजिकल स्टडीज, घर-घर जाकर हुए सर्वे, राज्य स्तर पर नगर निकायों के आधिकारिक डेटा और अंतरराष्ट्रीय अनुमानों को आधार बनाया गया था.
कौन सही कौन गलत?
भारत सरकार के मुताबिक, 2020 में कोरोना से करीब 1 लाख 48 हजार लोगों की मौत हुईं थीं. जबकि नई स्डटी में दावा किया गया है कि भारत ने 2019 की तुलना में 17 फीसदी अधिक (11.9 लाख) मौतों का सामना किया. इस हिसाब से भी मौतों का आंकड़ा भारत में कोरोना से हुई मौतों की आधिकारिक संख्या से करीब आठ गुना ज्यादा निकलता.
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NFHS की रिपोर्ट हो या CGD की, दोनों की स्टडी रिपोर्ट भारत सरकार के अधिकारिक कोविड डेथ डाटा से मेल नहीं खाती. क्योंकि भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अब तक देश में कोविड-19 से 5.33 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.
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NFHS ने ये सर्वे कई यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स के साथ किया. इसी रिपोर्ट के हिसाब से भारतीयों की जीवन प्रत्याशा में 2.6 साल की गिरावट देखी गई. इस दौरान मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इतनी मौतों के दावे को खारिज करते हुए कहा कि सर्वे करने का तरीका गलक था. इस सर्वे में लिया गया सैंपल साइज प्रभावी नहीं था. 14 राज्यों के इस विश्लेषण में शामिल 23% परिवारों को पूरे भारत का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता है. ऐसे में इस रिपोर्ट में हुई मौतों का आंकड़ा पूरी तरह भ्रामक गलत है.
क्या यहीं हुई स्टडी करने वालों से चूक?
मंत्रालय ने अपने बयान में ये भी कहा, अन्य महत्वपूर्ण दोष सम्मिलित नमूनों में संभावित चयन और इसकी रिपोर्टिंग पूर्वाग्रहों से संबंधित है, जिस समय ये डेटा एकत्र किया गया उस समय कोविड 19 महामारी के चरम पर थी, सही आंकड़े सरकारी निकायों के पास होते हैं, इस स्टडी में इतनी गहराई से डाटा नहीं लिया गया. ऐसे में इस स्टडी के नतीजे किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं. इस स्डटी के लेखकों ने जो तरीका अपनाया है, उसमें कई खामियां है. इस स्टडी के लेखकों ने जनवरी और अप्रैल 2021 के बीच आयोजिक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) से घरों के एक उपसमूह का उपयोग किया और 2020 में इन घरों में मृत्यु दर की 2019 से तुलना की और फिर निष्कर्षों को पूरे देश में प्रसारित किया.
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