Sitaram Yechury: विपक्षी गठबंधन के बड़े पैरोकार सीताराम येचुरी की हालत नाजुक, दिल्ली एम्स में सपोर्ट सिस्टम पर एडमिट
Sitaram Yechury Health Update: देश में विपक्षी गठबंधन के मजबूत पैरोकार रहे CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी की हालत नाजुक बनी हुई है. सांस से जुड़ी दिक्कत की वजह से उन्हें 19 अगस्त को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था.
CPIM leader Sitaram Yechury Health Condition: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी (72) की हालत गंभीर बनी हुई है. वे फिलहाल दिल्ली एम्स के आईसीयू में भर्ती हैं और उन्हें रेस्पिरेटरी सपोर्ट पर रखा गया है. पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि येचुरी को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए एम्स में एडमिट कराया गया. वहां पर कई डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में जुटी है.
19 अगस्त को एम्स में कराया गया भर्ती
रिपोर्ट के मुताबिक सीताराम येचुरी को सीने में दर्द और निमोनिया की शिकायत हुई थी. जिसके बाद 19 अगस्त को उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भी सीताराम येचुरी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लगातार एक्टिव रहे. उन्होंने 22 अगस्त को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक वीडियो जारी कर पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया था. इसके अगले दिन उन्होंने जम्मू कश्मीर में हो रहे असेंबली चुनाव में कांग्रेस, एनसी और सीपीएम के बीच एकजुटता पर जोर दिया था. करीब 6 दिन बाद उन्होंने अपने करीबी दोस्त अब्दुल गफूर नूरानी की मौत पर शोक प्रकट दिया था.
कौन हैं सीताराम येचुरी?
वामपंथी नेता सीताराम येचुरी देश के चर्चित कम्युनिस्ट लीडर्स में से एक हैं. वे 1977-78 तक तीन बार जे.एन.यू. छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. इसके बाद वे सीपीएम पार्टी में एक्टिव हुए और उसके महासचिव पद तक पहुंचे. पार्टी के पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत के बाद वे गठबंधन की राजनीति को आगे बढ़ाने वाले चर्चित नेता के रूप में जाने गए. वे सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं. उनकी हाल में मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी.
विपक्षी गठबंधन के बड़े पैरोकार
बीजेपी को लगातार तीसरी बार जीतने से रोकने के लिए विपक्षी दलों की ओर से जो इंडी गठबंधन बनाया गया, उसके निर्माण में सीताराम येचुरी की अहम भूमिका रही. उन्होंने कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल करने और उनके लिए सम्मानजनक सीटें छोड़ने के लिए राजी किया. अब वे विभिन्न राज्यों के असेंबली चुनावों में विपक्ष को एकजुट करने के अभियान में लगे हुए थे. उनके अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ने से विपक्षी एकता को झटका लगा है.
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