Darbar Move Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में 149 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा को तीन साल बाद फिर से शुरू करने की तैयारी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि प्रशासनिक सचिवों और विभागों के प्रमुखों को 11 नवंबर से जम्मू के नागरिक सचिवालय में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.


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महाराजा रणबीर सिंह के शासन में 1872 में शुरू हुई थी ये परंपरा


दरबार मूव एक द्विवार्षिक प्रक्रिया है जिसमें राज्य सचिवालय और अन्य सरकारी कार्यालयों को गर्मियों की राजधानी श्रीनगर से सर्दियों की राजधानी जम्मू में स्थानांतरित किया जाता है. यह परंपरा महाराजा रणबीर सिंह के शासन में 1872 में शुरू हुई थी और 2021 तक चलती रही. उस समय UT प्रशासन ने कहा था कि राज्य सचिवालय दोनों स्थानों पर बनाए रखे जाएंगे.


23 अक्टूबर को जारी हुआ आदेश


23 अक्टूबर को जारी एक आदेश में सामान्य प्रशासन विभाग के आयुक्त/सचिव संजीव वर्मा ने कहा कि "सरकारी कामकाज को प्रभावी और कुशलता से संचालित करने के लिए" यह आदेश दिया गया है कि प्रशासनिक सचिव और UT स्तर के विभाग के प्रमुख जम्मू के नागरिक सचिवालय में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करें.


क्या है आदेश में


इस आदेश में कहा गया है कि ये अधिकारी "कार्यात्मक आवश्यकता के अनुसार" श्रीनगर के नागरिक सचिवालय में भी उपस्थित होंगे, यानी जब जरूरत होगी. इसमें संपत्ति विभाग को सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों को उनके प्रशासनिक विभागों द्वारा अनुरोध पर आवास प्रदान करने के लिए भी कहा गया है.


दोनों जगहों पर सचिवालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया


एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह कोई नई बात नहीं है और UT प्रशासन ने लोगों के दरवाजे पर प्रशासन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है. उन्होंने 2021 के आदेश का संदर्भ दिया जिसमें दरबार मूव को समाप्त किया गया और दोनों जगहों पर सचिवालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया.


दरबार मूव को पहले 2020 में महामारी के कारण निलंबित किया गया था


हालांकि, सूत्रों का कहना है कि भौतिक कार्यालय फाइलें और उन्हें बनाए रखने वाले कर्मचारी नहीं जाएंगे. लेकिन यह सरकार के कामकाज पर प्रभाव नहीं डालेगा क्योंकि आधिकारिक रिकॉर्ड पहले ही डिजिटाइज्ड किए जा चुके हैं. दरबार मूव को पहले 2020 में महामारी के कारण निलंबित किया गया था. 20 जून 2021 को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घोषणा की थी कि द्विवार्षिक सचिवालय स्थानांतरण को समाप्त कर दिया गया है.


इंजीनियर रशीद ने रखी मांग


बारामूला से सांसद शेख अब्दुल रशीद ने शुक्रवार को यहां प्रदर्शन कर जम्मू-कश्मीर में राजधानी स्थानांतरित करने की परंपरा बहाल करने की मांग की. अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के प्रमुख रशीद ने यहां सिविल सचिवालय - जम्मू कश्मीर सरकार का मुख्यालय- के पास अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन किया. एआईपी प्रमुख को इंजीनियर रशीद के नाम से जाना जाता है. रशीद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में इस परंपरा का पालन हर साल किया जाता था, ‘लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हमारी राजधानी न तो श्रीनगर है और न ही जम्मू.’


..या श्रीनगर को स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए


उन्होंने कहा, ‘आज हम इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से (मुख्यमंत्री) उमर अब्दुल्ला को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने वादा किया था कि सरकार बनते ही राजधानी स्थानांतरित करने की परंपरा बहाल कर दी जाएगी.’ लोकसभा सदस्य ने कहा कि हमारी एकमात्र मांग यह है कि लोगों को बताया जाए कि जम्मू कश्मीर की राजधानी कौन सा शहर है. उन्होंने कहा, ‘हमारे लोगों को नहीं पता कि उन्हें श्रीनगर जाना है या जम्मू. लोगों की समस्याओं का कोई समाधान नहीं हो रहा है, लोग नहीं जानते कि उनकी फाइल जम्मू में है या श्रीनगर में.’ एआईपी प्रमुख ने कहा कि या तो दरबार बदलने की परंपरा को बहाल किया जाए या श्रीनगर को स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए.