Delhi Air Pollution: ना पराली, ना ही दिवाली.. फिर दिल्ली में अब क्यों गहराया प्रदूषण? जान लीजिए एक्सपर्ट्स ने क्या बताया
Pollution Reason: अभी ना दिवाली का सीजन है और साथ ही पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने का मौसम खत्म हो चुका है, लेकिन फिर भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. ग्रैप-4 (Delhi GRAP-4) लागू होने के बाद भी हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है.
Delhi-NCR Air Pollution Reason: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से प्रदूषण अपने खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह 7:15 बजे तक एक्यूआई (Delhi AQI) 450 तक पहुंच गया. दिल्ली प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए ग्रैप-4 (Delhi GRAP-4) लागू है, लेकिन इसके बावजूद हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. निर्माण गतिविधियों और शहर में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित सख्त उपायों के बावजूद कई क्षेत्रों में प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ऐसे समय में बढ़ रहा है, जब ना दिवाली है और ना ही पराली जलाई जा रही है. तो आखिर दिल्ली में प्रदूषण क्यों बढ़ता जा रहा है.
दिल्ली में क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण?
विशेषज्ञों ने प्रदूषण में अचानक बढ़ोतरी के प्राथमिक कारण के रूप में हवा की गति में उल्लेखनीय गिरावट की ओर इशारा किया. उन्होंने बताया कि हवा की कम रफ्तार से स्थानीय प्रदूषक वायुमंडल में जमा हो गए हैं. उन्होंने बताया कि अगले दो दिनों तक एक्यूआई (AQI) के ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने की आशंका है. दिल्ली के 35 निगरानी केंद्रों में से 28 में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया, जबकि कुछ में एक्यूआई 450 को पार कर गया जो ‘अति गंभीर’ श्रेणी में आता है.
ना पराली, ना दिवाली.. फिर क्यों गहराया प्रदूषण?
दिल्ली के प्रदूषण का मुख्य स्रोत वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन है, जिसका अति सूक्ष्म कण पीएम 2.5 में 18.8 प्रतिशत का योगदान है. फिलहाल, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का कोई योगदान नहीं है, क्योंकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का मौसम खत्म हो चुका है. बता दें कि अब तक जब भी प्रदूषण बढ़ता था, तो दिवाली के पटाखे और पराली जलाने की घटनाओं को जिम्मेदार बताया जाता रहा है.
दिल्ली के किस एरिया में कितना प्रदूषण का स्तर?
केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह 7:15 बजे तक औसत एक्यूआई 450 तक पहुंच गया, जबकि दिल्ली-एनसीआर के फरीदाबाद में एक्यूआई 263, गुरुग्राम में 392, गाजियाबाद में 390, ग्रेटर नोएडा में 330 और नोएडा में 364 एक्यूआई बना हुआ है. राजधानी दिल्ली के अधिकतर इलाकों में एक्यूआई लेवल 400 से ऊपर और 500 के बीच में बना हुआ है. अलीपुर में 443, आनंद विहार में 481, अशोक विहार में 461, आया नगर में 410, बवाना में 472, बुराड़ी क्रॉसिंग में 483, मथुरा रोड में 466, डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज में 448, डीटीयू में 432, द्वारका सेक्टर 8 में 457, आईजीआई एयरपोर्ट में 448, आईटीओ में 455, जहांगीरपुरी में 469, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 441, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 440, मंदिर बाग में 430, मुंडका में 473, नरेला में 463, नेहरू नगर में 480, नॉर्थ कैंपस डीयू में 437, शादीपुर में 467 अंक बना हुआ है.
कब कितना खतरनाक प्रदूषण और ग्रैप कब लागू होता है?
बता दें कि अगर एक्यूआई 0 से 50 के बीच रहता है तो उसे अच्छी श्रेणी की हवा गुणवत्ता कहा जाता है. 51 से 100 के बीच संतोषजनक वायु गुणवत्ता माना जाता है. 101 और 200 की एक्यूआई श्रेणी को मध्यम श्रेणी का माना जाता है. अगर किसी जगह का एक्यूआई 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र का एक्यूआई 'खराब' माना जाता है. 'ग्रैप' का पहला चरण एक्यूआई के 201 से 300 के बीच (खराब श्रेणी) होने पर, दूसरा चरण 301 से 400 के बीच (बहुत खराब) होने पर, तीसरा चरण 401 से 450 के बीच (गंभीर) होने पर और चौथा चरण 450 से अधिक (बहुत गंभीर) होने पर लागू होता है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)