दिल्ली पुलिसकर्मियों की वर्दी पर लगाए जाएं कैमरे, उप राज्यपाल को लिखा गया पत्र
दिल्ली के उप राज्यपाल को पत्र भी लिखा गया है और कहा गया है कि न्यायालय के निर्देश और दिल्ली के गृह सचिव द्वारा विभाग को इस संदर्भ में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए जाने के 4 महीने बीतने के बावजूद इस बाबत कोई कदम नहीं उठाया गया, नतीजतन तीस हजारी कोर्ट में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच झड़प की घटना सामने आई.
नई दिल्ली : तीस हजारी कोर्ट (Tis Hazari Court) में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) और वकीलों के बीच हुई झड़प के बीच हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप दिल्ली पुलिस कर्मियों को ड्यूटी के दौरान हिंसक हालातों से निपटने के लिए वर्दी पर कैमरों, उपर्युक्त प्रशिक्षण एवं उपकरणों से लैस करने की मांग तेज हुई है. इस बाबत दिल्ली के उप राज्यपाल को पत्र भी लिखा गया है और कहा गया है कि न्यायालय के निर्देश और दिल्ली के गृह सचिव द्वारा विभाग को इस संदर्भ में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए जाने के 4 महीने बीतने के बावजूद इस बाबत कोई कदम नहीं उठाया गया, नतीजतन तीस हजारी कोर्ट में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच झड़प की घटना सामने आई.
वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की ओर से इस बाबत दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को खत लिखा गया है. उन्होंने पत्र में लिखा, इसी वर्ष मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन के सामने पुलिसकर्मी द्वारा ऑटो ड्राइवर को उसके बेटे सामने बेरहमी से पीटे जाने की घटना के बाद चिंता जाहिर करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था. उनकी तरफ से हाईकोर्ट से दरख्वास्त की गई थी कि पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए उनकी वर्दी पर कैमरे लगाने और हिंसक व आकस्मिक स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए उचित उपकरणों की खरीद करने की आवश्यकता है, ताकि कानून का उल्लंघन करने वालों पर काबू पाया जा सके और जीवन की हानि व मुकदमेबाजी को कम किया जा सके.
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यहां तक की वर्ष 2017 में भी दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को सलाह दी थी कि पुलिस अभद्रता के मामलों को कम करने के लिए अधिकारियों को बॉडी कैमरे सौंपे जाएं. साहनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में दिल्ली पुलिस को अपनी मांगों के बाबत निर्देश दिए जाने की मांग की थी. जिस पर न्यायालय की तरफ से 1 जुलाई 2019 को याचिका का निपटान करते हुए कहा गया था कि इस मामले में प्रतिवादी अपने विवेक से फैसला ले.
इसके बाद 4 अगस्त को दिल्ली सरकार के गृह विभाग की तरफ से आए पत्र में उन्हें बताया कि इस बाबत पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) को उचित कार्रवाई करने के साथ ही कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) विभाग को सूचना के तहत आवेदक को दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
अमित साहनी की तरफ से पत्र में उप राज्यपाल को बताया गया कि 4 महीने बीतने के बाद भी इस बाबत कोई कदम नहीं उठाया गया, लिहाजा तीस हजारी कोर्ट में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच झड़प हुई, जिसमें दिल्ली पुलिस कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने में बुरी तरह से विफल रही और उसने वकीलों पर गोलीबारी की, जिससे दो वकील घायल हो गए. जिन्हें दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के पास सेंट स्टीफन अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया.
लिहाजा वरिष्ठ वकील अमित साहनी की तरफ से दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को इस बाबत उचित कदम उठाने के आदेश दिए जाने की मांग की गई है.