नई दिल्ली : सीसीटीवी कैमरे लगावाने पर दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच छिड़ी जंग अब सड़क पर पहुंच गई है. इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट के साथ उप-राज्यपाल से मिलने उनके घर पहुंचे तो सुरक्षागार्डों ने उन्हें आवास में घुसने नहीं दिया. इस पर अरविंद केजरीवाल अपने साथियों के साथ एलजी आवास के बाहर ही धरने पर बैठ गए. 


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उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने जब मुख्यमंत्री से कहा कि वह और उनके मंत्री उप-राज्यपाल से मिल सकते हैं लेकिन आप विधयकों को उनके साथ जाने की अनुमति नहीं होगी, उसके बाद केजरीवाल और उनके सहयोगी धरने पर बैठ गए. धरने पर बैठे नेताओं ने महात्मा गांधी के लोकप्रिय भजन गाए और उपराज्यपाल को सद्बुद्धि देने की कामना की.


धरने पर बैठने से पहले आप के नेताओं ने मुख्यमंत्री के सिविल लाइन स्थित आवास से अपराह्न तीन बजे भारी पुलिस सुरक्षा के बीच मार्च शुरू किया. दो किलोमीटर लंबे मार्च के दौरान केजरीवाल, मंत्रियों और विधायकों ने उपराज्यपाल और बीजेपी के खिलाफ नारे लगाए.



प्रदर्शन से पहले मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर प्रहार करते हुए आरोप लगाए कि वह नहीं चाहती कि सीसीटीवी परियोजना को लागू किया जाए इसलिए इसे उपराज्यपाल अनिल बैजल के माध्यम से रुकवाया जा रहा है. धरने पर बैठे मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों से मिलने से मना करने पर उप-राज्यपाल ने दिल्ली की जनता का अपमान किया है. 


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आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं की सुरक्षा के लिए महानगर में कम से कम दस लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया था. केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा बनाई गई समिति काफी खतरनाक है. समिति का गठन सीसीटीवी परियोजना को रोकने के लिए किया गया है. 



उप-राज्यपाल ने रविवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मुद्दे पर बार-बार और जानबूझकर लोगों और मीडिया को गुमराह किया जा रहा है. बैजल के पत्र के कुछ घंटे बाद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर जानना चाहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे का राजनीतिकरण क्यों कर रहे हैं.


केजरीवाल ने आरोप लगाए थे कि उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार को दरकिनार कर मनमाने तरीके से समिति का गठन किया और जानना चाहा था कि वह संविधान का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं.