नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि डीडीए ‘मोहल्ला क्लीनिकों’ के लिए जगह नहीं सौंप रहा है।


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मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की एक पीठ को आप सरकार ने यह भी बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अलावा डीएमआरसी और डीजेबी समेत विभिन्न अन्य स्थानीय एजेंसियां भी उनके स्वामित्व वाली भूमि पर क्लीनिकों की स्थापना में बाधाएं उत्पन्न कर रही हैं।


और क्या हुआ कोर्ट में?
अदालत ने डीडीए, दिल्ली मेट्रो (डीएमआरसी), जल बोर्ड (डीजेबी) और अन्य स्थानीय एजेंसियों को नोटिस जारी किए और दिल्ली सरकार की अर्जी पर उनसे 29 मार्च तक जवाब देने के लिए कहा. 


अतिरिक्त स्थायी वकील संजॉय घोष के जरिए दायर अर्जी में दिल्ली सरकार ने कहा है कि 333 स्थानों जिनके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त हुआ है, उन्हें तीन महीने के भीतर क्लीनिकों के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को सौंप दिया गया है।


घोष ने अदालत को बताया, ‘हालांकि कुछ प्रस्तावित जगहों के संबंध में डीडीए ने अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा,‘उन क्षेत्रों के लिए लेआउट प्लान में कोई विशिष्ट भूमि निर्धारित नहीं है क्योंकि दिल्ली के मास्टर प्लान (एमपीडी) 2021 में इसके लिए मानदंड नहीं दिए गए हैं।’ अर्जी के अनुसार डीडीए ने यह भी कहा है कि ‘‘एमपीडी में संशोधन के बिना’’ ‘मोहल्ला क्लीनिकों’’ के लिए जमीन आवंटित नहीं की जा सकती है।


(इनपुट - भाषा)