किसानों का ऐलान, शहरों में 10 दिन नहीं आने देंगे फल, सब्जी और दूध
चंडीगढ़ में बुधवार को जुटे किसान नेताओं ने यह ऐलान किया है. किसानों के इस आंदोल की अगुवाई राष्ट्रीय किसान महासंघ कर रहा है. इस संगठन के अंदर में देशभर के 110 किसान संगठन आते हैं.
चंडीगढ़: सहकारी बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाने पर किसानों पर पंजाब सरकार की ओर से कार्रवाई की बात कही गई है. इसके जवाब में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के किसानों ने 1 से 10 जून तक अपने गांव को सील करने और शहरों में सब्जियां, फल और दूध की सप्लाई रोकने का ऐलान किया है. चंडीगढ़ में बुधवार को जुटे किसान नेताओं ने यह ऐलान किया है. किसानों के इस आंदोल की अगुवाई राष्ट्रीय किसान महासंघ कर रहा है. इस संगठन के अंदर में देशभर के 110 किसान संगठन आते हैं.
इतना ही नहीं किसानों ने ऐलान किया है कि जब तक कोई जरूरी काम नहीं होगा तब तक किसान गांव के बाहर शह नहीं जाएंगे. तीनों राज्यों में गांवों की सीमा को पूरी तरह सील कर दिया जाएगा. किसानों का कहना है कि सरकारें वादाखिलाफी कर रही है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाया नहीं जा रहा है, जिसके चलते किसानों को सीधा नुकसान हो रहा है. किसानों के इस आंदोलन को बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा का भी समर्थन है.
किसान नेताओं ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम लंबे समय से स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है. सभी राज्य सरकारें अन्य सेक्टर के लोगों पर पैसे खर्च करती है, लेकिन किसानों की बेहतरी पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. मजबूर होकर किसानों ने शहरों में सब्जियों, दूध और फल की सप्लाई रोकने का फैसला लिया है.
दिल्ली में आसमान छू सकती है महंगाई
दिल्ली के विभिन्न सब्जी मंडी एसोसिशन से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर किसान ऐसा करते हैं तो इसका सीधा असर पड़ेगा. उनका कहना है कि दिल्ली में करीब 40 फीसदी सब्जी हरियाणा और पंजाब से आते हैं. पंजाब-हरियाणा की सब्जियां मंडी में नहीं आने पर यूपी पर दबाव बनेगा, जिससे महंगाई बढ़ना तय है. बताया जा रहा है कि गर्मी शुरू होने के चलते पहले ही सब्जियों की आवक कम है और भाव तेज हैं. किसानों के आंदोलन के चलते ये और महंगे हो सकते हैं.
पंजाब सरकार ने दी किसानों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी
पंजाब सरकार ऐसे बड़े किसानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी दी है, जिन्होंने क्षमता के बावजूद सहकारी बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया है. राज्य के सहकारी मंत्री सुखजींदर सिंह रन्धावा ने कहा कि बड़े किसानों पर सहकारी बैंकों का 276 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है.
रंधवा ने यहां एक बयान में कहा, 'पहले चरण में, सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए वसूली पर जोर दिया जायेगा तथा निजी बैंकों की तर्ज पर उन्हें कार्य की ओर प्रवृत्त किया जाएगा. वे चुककर्ता, जो बड़े किसान भी हैं, उनकी सूची तैयार की गई है और जिन्होंने रिण की एक भी किस्त का भुगतान नहीं किया है.’
उन्होंने कहा, 'हर महीने 20 बड़े किसानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी औरइस बार उन 20 किसानों को शामिल किया गया है, जिन पर इस समय 10-12 करोड़ रुपये का बकाया राशि है.