नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कैदियों के दांपत्य मुलाकात अधिकारों पर दायर एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को आम आदमी पार्टी सरकार तथा जेल प्रशासन से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन तथा न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठी की पीठ ने याचिका में उठाए गए मुद्दे को ‘बेहद दिलचस्प’ बताया और दिल्ली सरकार तथा जेल महानिदेशक को नोटिस भेज कर याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. 


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वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने अपनी याचिका में दावा किया कि जेल में दांपत्य मुलाकात को कैदियों और उनके पति अथवा पत्नियों के मौलिक आधिकार के तौर पर देखा जाना चाहिए. याचिककर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि वर्तमान में जेल कानून के अनुसार किसी कैदी की अपने पति अथवा पत्नी से मुलाकात जेल अधिकारी की मौजूदगी में होती है. उन्होंने इस नियम को समाप्त करने की मांग की.


उन्होंने कहा कि अदालतों द्वारा इस पर प्रगतिवादी रवैया अपनाया है तथा अनेक देशों ने दांपत्य मुलाकात को यह देखते हुए कि यह एक अहम मानवाधिकार है, मंजूरी दी हुई है लेकिन दिल्ली जेल कानून 2018 इस मुद्दे पर खामोश है. अध्ययन बताते है कि दांपत्य मुलाकातों से जेल अपराधों में कमी आती है और कैदियों में सुधार होता है.


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याचिका में कहा गया कि राज्य की जेलों में दांपत्य मुलाकात का अधिकार दिया जाना चाहिए क्योंकि अधिकतर कैदी यौनेच्छा वाले आयु वर्ग के होते हैं. यह मुलाकात न केवल कैदियों के मौलिक तथा मानवाधिकारों को सुनिश्चित करता है बल्कि उनके पति/पत्नियों के भी अधिकार सुनिश्चित करता है जो बिना किसी गलती के सजा भुगत रहे हैं.