नई दिल्ली: 18 मार्च से 20 मार्च तक दिल्ली में होने वाले अंतरराष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन के लिए पाकिस्तानी साहित्यकारों को भेजे गए न्यौते को रद्द कर दिया गया है. इस प्रोग्राम का आयोजन एनसीपीयूएल (National Council Promotion Urdu Language) की तरफ से किया गया हैं. एनसीपीयूएल एमएचआरडी के तहत काम करता है. एनसीपीयूएल के अध्‍यक्ष मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एनसीपीयूएल पिछले कई साल से दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन का आयोजन करता रहा है. इस साल भी मार्च में इसका आयोजन होगा, जिसमें दुनिया के करीब 20 देशों के उर्दू साहित्यकार हिस्सा लेंगे. इस आयोजन की तैयारियों के मद्देनज़र करीब दो महीने पहले ही दुनिया के अलग अलग देशों के साहित्यकारों को इनविटेशन भेजा जाता है. पिछले कई साल से पाकिस्तान के साहित्यकार भी इसमें शिरकत करते रहे हैं. इस बार भी 7 पाकिस्तानी साहित्यकारों को भारत आने का न्यौता दिया गया था, लेकिन पुलवामा में हुए हमले के बाद एनसीपीयूएल ने इस न्यौते को रद्द कर दिया है.


एनसीपीयूएल के निदेशक अकील अहमद ने बताया कि पुलवामा हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा है. पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता. हमारी सरकार ने जो फैसला किया है हम उसके साथ है, हम किसी पाकिस्तानी को अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाएंगे.
वही एनसीपीयूएल के उपाध्यक्ष डॉक्टर शाहिद अख़्तर का कहना है, कि हमारे देश के ख़िलाफ़ जिस देश ने साजिश रची, हम उन्हें अपने कार्यक्रम में नहीं बुला सकते. इसलिए हमने जितने पाकिस्तानी साहित्यकारों को न्यौता भेजा है, उसको रद्द किया जाता है.


पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे, वही सोमवार को 4 जवान आतंकवादी मुठभेड़ में शहीद हुए, जिसके बाद से ही लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है, और सब आतंकवादियों के साथ साथ पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़े कदम  उठाने की मांग कर रहे हैं. यही वजह है कि साहित्य से लेकर खेल और मनोरंजन तक जहां भी पाकिस्तान से जुड़े लोग भाग लेते है, भारत उनके ख़िलाफ़ पुरज़ोर तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहा है.