नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में इस बार भीषण गर्मी के कारण ओजोन का स्तर कई गुना बढ़ गया, जिससे लोगों की सेहत को गंभीर खतरा हो सकता है. एक अध्ययन में बुधवार को यह जानकारी दी गई है. इस अध्ययन में औद्योगिक और गाड़ियों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने की जरूरत बताई गई है. पर्यावरण थिंक टैंक सीएसई ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से रोज़ जारी होने वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के मुताबिक ओजोन पार्टिकुलेट मैटर के साथ एक प्रमुख प्रदूषक के रूप में उभर रहा है, खासतौर पर दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में.


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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने कहा कि एक्यूआई के मुताबिक, एक अप्रैल से पांच जून 2019 के दौरान 28 दिनों तक ओजोन पार्टिकुलेट मैटर के साथ एक प्रमुख प्रदूषक रहा, जो काफी हैरान करने वाला है. उसने बताया कि 2018 में इसी अवधि में, 17 दिनों के लिए ओजोन पार्टिकुलेट मैटर के साथ एक प्रमुख प्रदूषक रहा. पर्यावरण विशेषज्ञ और सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि यह गंभीर चिंता का मामला है कि ओजोन एक खतरनाक गैस है जिसका विपरीत प्रभाव अस्थमा और सांस संबंधी अन्य बीमारी से पीड़ित लोगों पर पड़ सकता है.


अध्ययन में बताया गया है कि ओज़ोन का स्तर फरीदाबाद और गाजियाबाद में भी ज्यादा था. अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली में ओज़ोन का स्तर सिरी फोर्ट, आर के पुरम, जेएलएन स्टेडियम, द्वारका सेक्टर आठ, रोहिणी जैसे इलाकों में अधिक था. इसके अनुसार, औद्योगिक और संस्थागत इलाकों में स्थिति समान रूप से खराब थी. वहीं, आया नगर, करणी सिंह शूटिंग रेंज, आईजीआई हवाई अड्डा, लोधी रोड, मंदिर मार्ग, पूसा रोड, पटपड़गंज, उत्तर परिसर, आईटीओ और आनंद विहार में ओजोन का स्तर कम था.