12 साल की बच्ची से देह व्यापार करवाने के मामले में सोनू पंजाबन दोषी करार
सोनू पंजाबन दिल्ली और आसपास के राज्यों में देह व्यापार का धंधा चलाने के लिए जानी जाती थी और कई बार दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था लेकिन हर बार वो छूट जाती थी.
नई दिल्ली: 12 साल की बच्ची के अपहरण, देह व्यापार और मानव तस्करी के आरोप में सोनू पंजाबन (Sonu Punjaban) को दिल्ली की द्वारका कोर्ट (Dwarka Court) ने दोषी माना है. सोनू पंजाबन के साथ एक और आरोपी संदीप बेदवाल को भी अदालत ने बलात्कार, अपहरण और मानव तस्करी का दोषी करार दिया है.
दरअसल ये कहानी है 12 साल की मासूम की (2009 में लड़की की उम्र 12 साल थी). जिसे संदीप बेदवाल ने साल 2009 में प्यार और शादी का झांसा देकर बहलाया फुसलाया और फिर धोखे से सीमा नाम की महिला के घर ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया. फिर उसे सीमा को बेच कर चला गया. उसके बाद से इस मासूम की जिंदगी अगले 5 सालों तक नर्क बन गई. लड़की ने अदालत को दिए बयान में बताया कि सीमा उससे 12 साल की उम्र में देह व्यापार करवाती रही और उसके बाद उसने किसी और महिला के पास उसे देह व्यापार के लिए बेच दिया. वो महिला भी लड़की से देह व्यापार करवाती रही जिसके बाद उसने किसी मनीषा दीदी के पास उसे बेचा. मनीषा के बाद उसे खुशी नाम की महिला ले गई और उसके बाद ये लड़की सोनू पंजाबन के पास पहुंची.
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सोनू पंजाबन दिल्ली और आसपास के राज्यों में देह व्यापार का धंधा चलाने के लिए जानी जाती थी और कई बार दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था लेकिन हर बार वो छूट जाती थी. इतना ही नहीं पुलिस ने उस पर लगाम लगाने के लिए मकोका जैसा सख्त कानून भी लगाया था.
लड़की का आरोप है कि सोनू पंजाबन उससे देह व्यापार करवाती थी और उसके साथ वो लगातार मारपीट भी करती थी. देह व्यापार करवाने और उम्र से बड़ी लगने के लिए उसे इंजेक्शन भी लगाए गए.
कुछ समय बाद सोनू पंजाबन ने लड़की को लखनऊ के किसी आदमी के पास बेच दिया जहां उससे देह व्यापार करवाया जाता था. लखनऊ में जिस आदमी के पास लड़की को बेचा गया था वो उसे रमेश और मिश्रा नाम के किसी आदमी के पास भेजा था और फिर बाद में दिल्ली से लखनऊ होते हुए ये लड़की हरियाणा के रोहतक में राजपाल और सतपाल नाम के आदमी को बेच दी गई. लड़की के मुताबिक वहां भी सतपाल उससे देह व्यापार का काम करवाने लगा और कुछ दिनों के बाद राजपाल ने उसे अपने पास घर पर रख लिया जहां उसकी पत्नी और बच्चे भी थे.
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कुछ दिन वहां रहने के बाद फरवरी 2014 में लड़की रोहतक से निकल भागी और दिल्ली के नजफगढ़ पुलिस में जाकर शिकायत दी. पुलिस ने लड़की के बयान लिए और इससे पहले की कारवाई करती लड़की गायब हो गई. जिसके बाद ये मामला दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को दिया गया.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की डीसीपी भीष्म सिंह और उनकी टीम ने सबसे पहले लड़की को ढूंढा और उसके बाद बयानों के आधार पर सोनू पंजाबन और संदीप बेदवाल को गिरफ्तार किया. पुलिस की जांच के दौरान भी ये लड़की गायब हो गई थी क्योंकि इसे सोनू पंजाबन और दूसरे आरोपियों की तरफ से लगातार धमकियां मिल रही थीं. लड़की दिल्ली के हर्ष विहार इलाके की रहने वाली थी और घर में तीन बहनें और दो भाई थे. पिता DTC में ड्राइवर थे. पिता ने साल 2009 में उसके गायब होने का मामला दर्ज करवाया था, लेकिन अब जब वह अपने पिता के घर गई तो घर वालों ने भी बाकी बहनों की शादी का हवाला देकर घर दूर रहने को कहा. इसके बाद फिर से लड़की को पुलिस ने ढूंढा और सुरक्षा देकर इस मामले को आगे बढ़ाया.
दिल्ली पुलिस ने लड़की के बयानों के आधार पर सबूत इकट्ठा किए और 16 जुलाई को दिल्ली की अदालत ने सोनू पंजाबन और दूसरे आरोपी संदीप बेदवाल को दोषी ठहराया. इस मामले के बाकी गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ अभी भी सुनवाई चल रही है और कुछ आरोपी अभी भी फरार हैं.
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