Tahir Hussain Money Laundering Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन  की अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. ताहिर हुसैन ने अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निचली अदालत की ओर से आरोप तय होने के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में  चुनौती दी है. कोर्ट ने ED और ताहिर हुसैन को अपनी दलीलों के समर्थन मे दो दिन के अंदर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है.


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ताहिर हुसैन और ED की दलील


ताहिर हुसैन की ओर से पेश वकील नवीन मल्होत्रा ने कहा कि ताहिर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता है, ताहिर के पास से ऐसी कोई प्रॉपर्टी/सबूत नहीं मिला है, जिससे उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप साबित हो. वहीं ED की ओर से ज़ोहेब हुसैन ने दलील दी कि ताहिर हुसैन के इस्तेमाल किए बैंक खाते भी PMLA एक्ट के तहत प्रॉपर्टी माना जाएगा. इस मामले में पुख्ता सबूत हैं कि कैसे ताहिर ने मनी लॉन्ड्रिंग कर दंगों की फंडिंग के लिए साजिश रची.


ताहिर हुसैन के खिलाफ ED का केस


ताहिर हुसैन के खिलाफ ED का केस यह है कि  हुसैन ने सहयोगियों के साथ मिलकर SEAPL, ECPL और EGSPL नाम की तीन कंपनियों के ज़रिये पैसे का लेन देन किया. करीब 1.5943 करोड़ रूपये अलग अलग बोगस कंपनियों के रास्ते आखिर में ताहिर हुसैन तक पहुंचे और इस पैसे का इस्तेमाल फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगे भड़काने में इस्तेमाल किया.


कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोप तय किए थे


इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने ED की ओर से पेश दलीलों से सहमति जताते हुए ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय करने का आदेश दिया था. कड़कड़डूमा कोर्ट का कहना था इस मामले में ताहिर हुसैन की भूमिका पर संदेह पैदा करने के लिए पुख्ता सबूत हैं. अदालत में पेश किए सबूतों, गवाहों के बयान से साफ है कि पहली नज़र में ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है और साजिश के तहत जुटाई गई रकम का इस्तेमाल दंगों में किया गया.


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