नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे देश का पहला ऐसा राजमार्ग है, जो पांच राज्यों के पिछड़े और आदिवासी इलाकों से होकर गुजर रहा है. उन्होंने कहा कि यह अगले साढ़े तीन साल में देश को समर्पित होगा.


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केंद्रीय मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान इस बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि इस परियोजना के चालू हो जाने से दिल्ली-मुंबई के बीच यात्रा की अवधि घट कर 12 घंटे की हो जाएगी. निचले सदन में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि बड़े शहरों से होकर एक्सप्रेस वे निकालने में परियोजना की लागत भी बढ़ती है. इसलिए बड़े शहरों को सम्पर्क मार्गो के जरिए जोड़ा जाएगा.


गडकरी ने कहा कि इस परियोजना से दिल्ली से कोटा के बीच की दूरी सिर्फ साढ़े तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली-मुंबई मार्ग पर एक इलेक्ट्रिक केबल का व्यवहार्यता अध्ययन भी किया जा रहा है. गडकरी ने एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे परियोजना के धीमी गति से आगे बढ़ने के कारणों का राज्य सरकार से पता लगाएं. साथ ही, राज्य सरकार से भूमि अधिग्रहण की जानकारी लें. 


उन्होंने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण में मुआवजे की रकम में अतिरिक्त छूट का सवाल ही नहीं उठता. रोज चार-पांच प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने आते हैं और भूमि अधिग्रहण का अनुरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए जिला कलेक्टर बाजार आधारित फार्मूला तय करते हैं.