Delhi Big News: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को बड़ी रियायत देने का फैसला किया है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने केंद्र सरकार के निर्देश पर दंगा पीड़ितों को सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करते समय न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में छूट की घोषणा की. अब नौकरी के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं से घटाकर कक्षा 8 करने का निर्णय लिया गया है. 


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केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को दंगा पीड़ित परिवारों को नौकरी के लिए सरकार द्वारा दी गई रियायतों पर प्रकाश डाला. उन्होंने 1984 में नरसंहार के लिए कांग्रेस से माफी मांगने को कहा. दंगे में सिख समुदाय के करीब 3,000 लोग मारे गए थे. हरदीप पुरी ने आईएएनएस से कहा, ऐसा लगता है कि कांग्रेस को अपने क्रूर अत्याचारों का कोई अफसोस नहीं है. जगदीश टाइटलर जैसे लोगों, जिनका नाम दंगा आरोपी के रूप में सामने आया था, को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में एक प्रमुख पद दिया गया. मंत्री ने कहा कि कांग्रेस दंगा पीड़ित परिवारों की मदद करने में विफल रही.


पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह मामला उठाए जाने के बाद सिख परिवारों को अब सरकारी नौकरियों के लिए शैक्षणिक योग्यता में यह छूट मिलने जा रही है. एलजी ऑफिस ने दावा किया कि सिख दंगा पीड़ित परिवारों की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए एक सर्वे कराया गया और इसके बाद ही उन्हें रियायत देने का निर्णय लिया गया. 


सीएए की सार्थकता पर डाला प्रकाश 


बीजेपी नेता ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसमें पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अत्याचार, जबरन धर्म परिवर्तन और आतंकवाद का सामना करने वाले सिख शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार ही थी जिसने एसआईटी की स्थापना की और 300 मामलों को फिर से खोला, जिससे दोषियों को कारावास हुआ और दंगा पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने के अलावा उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान की गई. 


इनपुट: आईएएनएस