Delhi Crime: पिछले दिनों ऐसी कई घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें दिल्ली- NCR में सक्रिय जहरखुरानी गिरोह ने बस स्टैंड, रेलवे स्टेशनों और व्यस्त बाजारों में लोगों को बेहोश करके लूटा था. ऐसी घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए, एसीपी राज कुमार की देखरेख में इंस्पेक्टर उमेश सती के नेतृत्व में ईआर-II, क्राइम ब्रांच की एक समर्पित टीम जिसमें ऐसे आरोपियों को पकड़ने के लिए गठित की गई थी.


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2 अप्रैल को पूर्वी रेंज-II की उपरोक्त टीम को एक गुप्त सूचना मिली थी कि “आजाद गैंग” जहरखुरानी गिरोह के सदस्य अपने गिरोह के नेता आजाद के साथ जो कई जहरखुरानी घटनाओं में शामिल रहे हैं, अपराध करने के लिए मोरी गेट बस स्टैंड के पास आएंगे. एक जाल बिछाया गया और मुखबिर की पहचान पर; तीन व्यक्तियों को पकड़ लिया गया जो एक ऑटो में सवार थे.


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पूछताछ में उनकी पहचान मोहम्मद आजाद निवासी दिल्ली, उम्र-38 वर्ष, आसिफ उर्फ ​​जुबेर निवासी दिल्ली, उम्र-24 वर्ष और साबिर निवासी दिल्ली, उम्र-39 वर्ष के रूप में हुई. उनकी तलाशी लेने पर जहर खुरानी गिरोह के मुखिया आरोपी आजाद के कब्जे से 23 नशीली गोलियां, गोलियों का पाउडर और ब्लेड बरामद किया गया. इसके अलावा,  आसिफ उर्फ ​​जुबेर की निशानदेही पर एक पिस्तौल और दो जिंदा कारतूस बरामद किए गए.


विस्तृत पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने दिल्ली- और एनसीआर में जहर खुरानी और लूट की करीब 100 वारदातों को अंजाम दिया है. उन्होंने आगे बताया कि वे अपराध करने के लिए हथियार और चोरी के वाहन का भी इस्तेमाल करते थे. विस्तृत पूछताछ के आधार पर, आजाद की निशानदेही पर थाना दरियागंज के ई-एफआईआर के तहत चोरी की गई एक स्कूटी बरामद की गई है.


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उन्होंने खुलासा किया कि जबकि साबिर की निशानदेही पर थाना जाफराबाद के ई-एफआईआर के तहत चोरी की गई एक और स्कूटी बरामद की गई है. आर्म्स एक्ट और 411 आईपीसी के तहत क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. लगातार पूछताछ में आरोपियों ने अपनी कार्यप्रणाली का खुलासा किया कि वे ऑटो किराए पर लेते थे और निर्दोष व्यक्तियों को अपना निशाना बनाने के लिए बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और व्यस्त बाजारों में चलाते थे.


उन्होंने आगे कहा कि गिरोह के सदस्य ऑटो चालक और यात्री बनकर ऑटो में यात्रा करते थे. वे लक्षित व्यक्ति को यात्री के रूप में ऑटो में बैठाते थे और जब ऐसा व्यक्ति ऑटो में चढ़ जाता था, तो गिरोह के सदस्य साथी यात्री बनकर अपने दोस्ताना व्यवहार से उसे अपने पक्ष में कर लेते थे. इस प्रक्रिया में, गिरोह के सदस्य लक्षित व्यक्ति को बेहोश करने के उद्देश्य से खाद्य पदार्थ, पानी, ठंडा पेय आदि देते थे. जब लक्ष्य बेहोश हो जाता है, तो वे एक सुनसान जगह पर चले जाते हैं और उसे लूटकर भाग जाते हैं.


(इनपुटः राज कुमार भाटी)