Baisakhi 2023: पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित अलग-अलग राज्यों में आज फसलों का त्योहार बैशाखी मनाई जा रही है. इस त्योहार को किसान अपनी फसल पकने की खुशी में मनाते हैं, साथ ही अच्छी फसल की कामना करते हैं. बैशाखी पर मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें दंगल, गिद्दा और भांगड़ा जैसे खेल होते हैं. सिख समुदाय के लिए ये दिन बेहद खास होता है, क्योंकि बैशाखी से ही उनके नए साल की शुरुआत होती है. 


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राशि में परिवर्तन
बैशाखी के दिन से सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं,  इसलिए इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. आज दोपहर 03 बजकर 12 मिनट पर मेष संक्रांति होगी और इसी समय सूर्य देव मेष राशि में गोचर करेंगे.


कैसे पड़ा वैशाखी नाम
वैशाखी नाम हिंदू कैलेंडर के बैशाख महीने से लिया गया है. इस महीने की पूर्णिमा तिथि विशाखा नक्षत्र में होती है. 


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खालसा पंथ की स्थापना
सिखों के लिए बैशाखी का त्योहार काफी खास होता है. इसी दिन साल 1699 में सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने मानव कल्याण के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी.


अलग-अलग नामों से मनाया जाता है उत्सव
फसलों का त्योहार बैशाखी देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. असम में इसे बिहू कहा जाता है. बंगाल में भी इसे पोइला बैसाख  के नाम से मनाते हैं. वहीं केरल में ये पर्व विशु कहलाता है. 


स्नान-दान का महत्व
ऐसी माना जाता है कि हजारों सालों पहले गंगा इसी दिन धरती पर अवतरित हुईं थीं, जिसकी वजह से आज के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व माना जाता है. 


Disclaimer- इस आर्टिकल में दी गई जानकारी और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. ZEE MEDIA इनकी पुष्टि नहीं करता है.