Ballabhgarh News: बल्लभगढ़ के दशहरा मैदान के समीप बन रहा निगम सभागार जो गांधी भवन के नाम से भी जाना जाता है, पिछले 10 साल में भी तैयार नहीं हो पाया है. हालांकि इस निगम सभागार को बनते-बनते सरकारें बदल गई, विधायक बदल गए, कई प्रशासनिक अधिकारी बदल गए, कई ठेकेदार बदल गए. बावजूद इसके अभी तक इस नगर निगम सभागार का काम अधूरा है. जो काम पहले के ठेकेदारों ने इस भवन को बनाने में किया वह भी लगभग खंडहर में तब्दील होता नजर आता है. 


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बता दें बल्लभगढ़ में लोगों के सामाजिक, धार्मिक, व्यावसायिक व राजनैतिक कार्यक्रमों के लिए कोई सरकारी स्थान नहीं था. आयोजनों के लिए यहां 1986 में गांधी भवन बनाया गया था. पिछले 10 साल से बनते-बनते अधूरा रहा नगर निगम सभागार गांधी भवन के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि गांधी भवन के नाम से यहां 1987 में भवन स्थापित हुआ. इस का उद्घाटन उस समय के मुख्यमंत्री बंसी लाल ने 16 मई 1987 को किया था. समय के साथ इस स्थान को जनवरी 1996 में एसडीएम कार्यालय में परिवर्तित कर दिया गया, जो 2005 तक शहर की कर्तव्यनिष्ठ सेवा करता रहा.


देख-रेख न होने से पूरी तरह से यह गांधी भवन जर्जर हो गया. उसे प्रशासन ने खंडहर घोषित कर पूरी तरह से तोड़ दिया. यहां के लोगों की जरूरतों को देखते हुए नगर निगम ने सभागार बनाने के लिए कांग्रेस की हुड्डा सरकार में 2008 में योजना तैयार की थी. तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 22 फरवरी 2009 को सभागार की आधारशिला रखी थी, लेकिन इसके बाद नगर निगम ने सभागार बनाने की योजना को लंबित योजनाओं में डाल दिया.


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इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए मई 2014 में पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर ने भूमिपूजन किया था. नगर निगम ने विधानसभा चुनाव नजदीक होने से योजना पर फिर से ब्रेक लगा दिया था. 26 अक्टूबर 2014 को प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई. इसके बाद मई 2015 में इस भवन का काम फिर शुरू हुआ.


निगम ने सभागार बनाने के लिए 9 करोड़ रुपये की योजना बनाई थी. इस पर मई 2015 में निर्माण कार्य शुरू हो गया था, जिसका शिलान्यास उस समय के बल्लबगढ़ विधायक मूलचंद शर्मा ने किया जिसकी गवाही अधूरे बने भवन के अंदर वह पठशिला भी करती है जो अब टूट चुकी है.


इस राशि से सभागार का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया और कार्य बीच में ही लटक गया. इसके बाद कैबिनेट मंत्री बन चुके विधायक मूलचंद शर्मा ने 2018 के बजट सत्र में सभागार को पूरा करने के लिए एक बार फिर से मुद्दा उठाया. इसके बाद सरकार ने सभागार को बनाने के लिए 6 करोड़ रुपये और मंजूर किए. इसके बाद एक बार फिर बंद काम शुरू हो सका, लेकिन अधूरे पड़े निगम सभाकर का काम एक बार फिर शुरू होते ही कुछ महीने बाद ही कोरोना महामारी के चलते एक बार फिर बंद हो गया. जो फिलहाल अभी तक बंद है. 


पहले के ठेकेदारों द्वारा किया गया निर्माण का काम लगभग जर्जर हालत में हो चुका है।लोहे के फ्रेम पर जंग लग चुका है. खंडहर होते अधूरे सभागार के अंदर रखे सीमेंट के कट्टे खराब हो चुके हैं. दीवारों पर लाखों की लागत का लगाया गया पत्थर मरम्मत के अभाव में गिर रहा है. दीवारों पर सीलन, दीमक जाले साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. 2015 में बल्लबगढ़ विधायक मूलचंद शर्मा द्वारा लगाया गया शिलान्यास का पत्थर टूटा हुआ फर्श पर पड़ा नजर आता है तो वहीं बिजली की तारें लगभग गायब हो चुकी है.


अधूरे भवन के अंदर शाम ढलते ही नशेड़ियों का जमवाड़ा हो जाता है. बिजली की तारें गायब हो चुकी है. खंडहर में तब्दील होता अधूरा भवन अपने पूर्ण निर्माण की प्रतीक्षा में प्रशासन और नेताओं की तरफ बेवसी से देखा हुआ नजर आ रहा है. यानी कि यहां पर टैक्स के रूप में दिया गया जनता का पैसा और सरकार के द्वारा विकास के लिए प्रशासन को दिया गया पैसा साफतौर पर बर्बाद होता दिखाई दे रहा है.


Input: Amit Chaudhary