Bhiwani News: भारतीय संविधान के निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर के 67वां महापरिनिर्वाण दिवस पर भिवानी के लघु सचिवालय में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. वहीं हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष वीरेंद्र बड़गुज्जर और जिला भर से आए अधिवक्ताओं समेत कई सामाजिक संगठनों के लोगों ने एकत्रित होकर उनकी आदमकद प्रतिमा का पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. 


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वहीं विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने डॉ. बीआर अंबेडकर के जीवन आदर्शों को लेकर मंच के माध्यम से गहन चर्चा की और उनके द्वारा सामाजिक समानता, शिक्षा व अधिकारों के प्रति संघर्ष करने के संदेश को आगे बढ़ाया गया. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के मूह में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था. वे देश के पहले कानून मंत्री थे. उन्हें 29 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष चुना गया. उन्होंने सदा समानता के लिए लड़ाई लड़ी.


इस मौके पर हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग के वाइस चेयरमैन वीरेंद्र बडगुज्जर, भिवानी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यजीत पिलानिया ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक व धार्मिक क्षेत्र में ऐसे कार्य किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता है. उन्होंने जात-पात, ऊंच-नीच जैसी कुरीतियों को समाप्त करने का कार्य किया और हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने की प्रेरणा दी.


डॉ. भीमराव अंबेडकर का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से ही समाज व देश को आगे बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने दलितों के उत्थान को लेकर अनेक कार्य किए, जिसके चलते उन्हें आज भी याद किया जाता है.


इस मौके पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों व अधिवक्ताओं ने कहा कि उन्होंने आज बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर यह प्रण लिया है कि वे जरूरतमंद लोगों का बगैर फीस लिए कोर्ट में केस लड़ेंगे, ताकि अंतिम व्यक्ति तक न्याय समान रूप से पहुंच सके. उसमें आर्थिक बाधाएं उत्पन्न न हो. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर देश के पहले कानून मंत्री थे. इसीलिए देशभर के वकील व कानून के क्षेत्र से जुड़े लोग उनसे विशेष लगाव रखते हैं.


Input: Naveen Sharma