karpoori Thakur News: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को इस बात की घोषणा की. 'जननायक' के नाम से मशहूर ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार मुख्यमंत्री रहे हैं. बता दें कि 24  जनवरी 1924 को इनका जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था. 



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समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर की और खुशी व्यक्त करते हुए रहा कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक महान जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं. यह प्रतिष्ठित सम्मान हाशिये पर पड़े लोगों के लिए एक चैंपियन और समानता और सशक्तिकरण के समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है.


साथ ही बताया कि दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है. यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है, बल्कि एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है.


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आपको बता दें कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था. भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए कॉलेज छोड़ दिया. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्हें 26 महीने जेल में बिताने पड़े थे. देश को आजादी मिलने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने अपने गांव में पढ़ाना शुरू कर दिया. वे 1952 में बतौर सोशलिस्ट पार्टी उम्मीदवार ताजपुर से एमएलए चुने गए थे. 


कर्पूरी ठाकुर ने बिहार का शिक्षा मंत्री रहते हुए मैट्रिक पाठ्यक्रम से अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा दिया था. उनका मानना था कि अंग्रेजी मीडियम की शिक्षा के निम्न मानकों के कारण बिहार के छात्रों को परेशानी हुई. उन्हें बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करने का भी श्रेय भी जाता है.