नई दिल्ली : बिलकिस बानो गैंगरेप (Bilkis Bano Gangrape) केस के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई के खिलाफ 134 पूर्व लोकसेवकों ने शनिवार को सीजेआई NV Ramana को एक खुला पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने इस मामले में किए गए 'भयानक गलत फैसले' को सुधारने का अनुरोध किया गया है. पूर्व लोकसेवकों ने सीजेआई से गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की छूट के आदेश को रद्द करने और गैंगरेप-हत्या के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए वापस जेल भेजने की मांग की है. 


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पत्र में लिखा है, कुछ दिन पहले देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर गुजरात में जो हुआ, उससे देश के ज्यादातर लोगों की तरह हम भी स्तब्ध हैं. इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग, पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई भी शामिल हैं.


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पूर्व लोकसेवकों ने कहा कि हम गुजरात सरकार के इस फैसले से बहुत व्यथित हैं और मानते हैं कि यह केवल सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख अधिकार क्षेत्र है. इसलिए इस भयानक गलत फैसले को सुधारने की जिम्मेदारी उसकी है.


सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
जस्टिस उदय उमेश ललित ने शनिवार को भारत के 49वें सीजेआई के रूप में शपथ ली.  25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया. मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. 


साल 2002 में गोधराकांड के बाद हुए दंगों के समय बिलकिस बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी. बानो के सामने ही हमलावरों ने तीन साल की बेटी समेत परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. जनवरी 2008 में मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो के गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा था.