बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता सुनील दत्त ने कैसे तय किया 25 रुपये से करोड़ों रुपयों का सफर, जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
सुनील दत्त का फिल्मी सफर जितना कामयाब रहा उतना ही राजनीतिक सफर भी कामयाब रहा. इनकी शादीशुदा जिंदगी भी खुशहाल रही थी, लेकिन बेटे संजय दत्त की वजह से काफी मुश्किलें भी झेली और पत्नी नरगिस की कैंसर की बीमारी के कारण मौत हो गई, जिसने उन्हें अंदर से तोड़ दिया.
Bollywood: बॉलीवुड को मशहूर अभिनेता सुनील दत्त का आज ही के दिन 25 मई 2005 को निधन हुआ था. सुनील दत्त एक्टर के साथ-साथ फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और राजनेता भी थे. उन्होंने अपने जीवन के हर पड़ाव पर हर तरह के काम किए है. सुनील दत्त सबकी मदद करने के लिए खड़े रहते थे. इसलिए आज भी लोग उन्हें याद करते हैं. सुनील दत्त के जीवन में कई मुश्किलें आई, लेकिन उन्होंने मजबूती से सबका सामना किया.
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सुनील दत्त का फिल्मी सफर जितना कामयाब रहा उतना ही राजनीतिक सफर भी कामयाब रहा. इनकी शादीशुदा जिंदगी भी खुशहाल रही थी, लेकिन बेटे संजय दत्त की वजह से काफी मुश्किलें भी झेली और पत्नी नरगिस की कैंसर की बीमारी के कारण मौत हो गई, जिसने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. सुनील दत्त ने ड्रग्स और कैंसर को लेकर आम जनता में जागरूकता फैलाने के लिए मुंबई से लेकर चंडीगढ़ तक पदयात्रा की.
हम आपको सुनील दत्त से जुड़ा एक मजेदार किस्सा बताते हैं, जब उन्हें सामने देखने के बावजूद उनकी वाइफ नरगिस (Nargis) पहचान ही नहीं पाईं. ये दोनों समय मिलने पर अक्सर एक दूसरे से मिलते रहते थे. ऐसा ही मजेदार मुलाकात का किस्सा फेमस मेकअप आर्टिस्ट पंढरी जुकर ने बताया था. पंढरी दादा के नाम से बॉलीवुड के फेमस मेकअपमैन ने बताया था कि सुनील दत्त फिल्म हमराज की शूटिंग कर रहे थे. मैं उनका 110 साल बूढ़े के रोल के लिए मेकअप कर रहा था तभी नरगिस जी मिलने के लिए आईं. उन्होंने पूछा कि दत्त साहब कहां हैं. यह सुन कर सुनील दत्त जी को मजाक सूझा और उन्होंने मुझे इशारे में चुप रहने को कहा.
पंढरी दादा ने बताया था कि नरगिस जी पूरे 2 घंटें बैठकर इंतजार करती रहीं. जब चलने लगीं तो मुझसे रहा नहीं गया मैंने उन्हें बता दिया कि दत्त साहब आपके बगल में हीं तो बैठे हैं. यह सुनते ही वह हैरान रह गईं और दत्त साहब की तो हंसी ही नहीं रुक रही थी. हैरानी जताने के बाद नरगिस जी मेरे पास आईं और कहने लगीं आपने मेरे पति का ऐसा मेकअप किया कि पत्नी होते हुए भी मैं पहचान नहीं पाई. इसके बाद नरगिस ने खुश होकर अपनी कीमती घड़ी मुझे यादगार के तौर पर दे दी. जिंदगी भर तमाम मुश्किलें सुनील दत्त ने झेली लेकिन नरगिस से उनका रिश्ता बेहद खूबसूरती भरा था.
1984 में सुनील दत्त ने राजनीति के मैदान में उतरे और कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए. वह सांसद रहे. वह मनमोहन सिंह की सरकार में युवा मामले और खेल मंत्री भी थे. एक तरफ उनका पॉलिटिकल करियर चल रहा था और दूसरी तरफ वह लगातरा हिट फिल्में भी कर रहे थे. 1992 में आई फिल्म 'परंपंरा' की और 1993 में फिल्म 'क्षत्रिय' की थी. साल 2003 में वह अपने बेटे संजय दत्त के साथ फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस (Munna Bhai MBBS) में नजर आए थे. ऑनस्क्रीन बाप बेटे की केमिस्ट्री लाजवाब थी. 25 मई 2005 में हार्ट अटैक से इनका निधन हो गया. सुनील दत्त के सौम्य व्यवहार, फिल्म और राजनीति में योगदान को आज भी याद किया जाता है.
बस कंडेक्टर से फिल्मों तक का सफर
फिल्मी करियर की शुरुआत से पहले सुनील दत्त ने पैसों की तंगी के चलते बस में कंडेक्टर की नौकरी करनी पड़ी थी. सुनील दत्त अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपनी शानदार आवाज़ के लिए भी जाने जाते थे. अच्छी आवाज होने की वजह से वह कॉलेज में नाटक करने लगे. कॉलेज में उनका प्ले देखने रेडियो के प्रोग्रामिंग हेड आए थे और सुनील की आवाज सुन वह काफी इम्प्रेस हुए और उन्होंने सुनील को रेडियो में आरजे (RJ) की नौकरी का ऑफर दिया. नौकरी पाकर वह काफी खुश हो गए और उन्होंने बिना देर किये हां बोल दिया.
उस समय आरजे का काम करने पर उन्हें 25 रुपये सैलरी मिलती थी. रेडियो में काम करते हुए उन्होंने एक बार एक्ट्रेस नरगिस का भी इंटरव्यू लिया था. रेडियो और थिएटर में काम करते हुए सुनील दत्त का रुझान बॉलीवुड की तरफ होने लगा. इसी बीच साल 1955 में आई फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म से उन्होंने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया. इस फिल्म से उन्होंने सिनेमा जगत में कदम तो रख लिया, लेकिन असली पहचान उन्हें फिल्म 'मदर इंडिया' से मिली
मदर इंडिया करने के बाद सुनील के सितारे बदल गए. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक सुपर हिट फिल्में की और फिल्मी जगत में वो हमेशा के लिए अमर हो गए.
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