Budget 2024: एक नियमित बजट हर साल फरवरी माह में पेश किया जाता है. इस बजट को आने वाले वार्षिक वर्ष के लिए पेश किया जाता है. यह आने वाले वित्त वर्ष (31 मार्च से 1 अप्रैल) के लिए होता है. बजट आने वाले साल का एक तरीके से ब्लूप्रिंट होता है.
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Budget 2024: हर साल फरवरी महीने के 1 तारीख को भारत सरकार की ओर से आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट का ऐलान किया जाता है. यह बजट आने वाले साल के लिए एक ब्लूप्रिंट जैसा होता, जिसमें यह बताया गया होता है कि आगामी वित्त वर्ष में सरकार किन क्षेत्रों में कितनी राशि खर्च करने वाली है. इस साल भी 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा. इस बजट को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. हालांकि चुनावी साल होने की वजह से सरकार इस वर्ष पूर्ण बजट नहीं बल्कि अंतरिम बजट पेश करेगी. ऐसे में यह सवाल मन में आना लाजमी है कि ये पूर्ण बजट और अंतरिम बजट में क्या अंतर होता है. यानी कि आइए जानते हैं कि पूर्ण बजट और अंतरिम बजट की क्या होती है गणित?
क्या होता है नियमित बजट?
एक नियमित बजट हर साल फरवरी माह में पेश किया जाता है. इस बजट को आने वाले वार्षिक वर्ष के लिए पेश किया जाता है. यह आने वाले वित्त वर्ष (31 मार्च से 1 अप्रैल) के लिए होता है. बजट आने वाले साल का एक तरीके से ब्लूप्रिंट होता है. बजट में सरकारी राजस्व की सूची होती है. साथ ही इसमें दस्तावेज करों और अन्य साधनों के माध्यम से सरकार के राजस्व स्रोतों की एक व्यापक सूची प्रदान करता है. इसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किए जाने वाले सुझाए गए व्यय शामिल हैं. नियमित बजट आने वाले वित्तीय वर्ष का एक रोडमैप होता है, जो देश के विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित करता है. साथ ही नियमित बजट पास होने से पहले संसदीय बहस, जांच, संशोधन और चर्चा शामिल की जाती है.
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अंतरिम बजट की क्या है गणित?
वहीं, चुनावी साल में सरकार पूर्ण बजट न पेश करके अंतरिम बजट पेश करती है. इस अंतरिम बजट को इसलिए पेश किया जाता है. ताकि बिना किसी परेशानी के आने वाले वित्त वर्ष में देश की मशीनरी को चलाया जा सके. अंतरिम बजटस को भी फरवरी महीने में ही पेश किया जाता है. अंतरिम बजट पूरे वित्त वर्ष की बजाय मौजूदा वित्त वर्ष के बाकि के महीनों के लिए लागू किया जाता है. अंतरिम बजट को पेश करने के पीछे का कारण होता है कि वेतन, पेंशन और कई अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों को बे-रोकटोक चलाया जा सके. अंतरिम बजट की अप्रूवल प्रक्रिया भी कम जटिल होती है. इसके तहत इस बजट को पेश करने के लिए बहुत ज्यादा संसदीय चर्चा की अनुमति नहीं प्रदान होती है.