Chandigarh News: हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने एक साल से लंबित मामलों के निपटान में सुस्ती बरत रहे 372 जांच अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश जारी करने के बाद आज पुलिस अधिकारियों से बात की. उन्होंने वायरलेस पर राज्य के पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, सभी पुलिस रेंज के महानिरीक्षक, पुलिस कमिश्नर और पुलिस अधीक्षकों से बात की.


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इस दौरान उन्होंने एक साल से लंबित मामलों के निपटान में सुस्ती बरत रहे 372 जांच अधिकारियों (आईओ) को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने और निलंबन आदेश की प्रति गृह विभाग कार्यालय व पुलिस मुख्यालय में भिजवाने का निर्देश दिया. विज ने कहा कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही कतई सहन नहीं की जाएगी. 


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गृह मंत्री ने कहा कि वह अंबाला में रात को दो-दो बजे तक जनता दरबार लगाकर पीड़ित लोगों की शिकायतें सुनते हैं. अधिकतर शिकायतें पुलिस विभाग से जुड़ी होती हैं. विज ने कहा कि उन्होंने खुश होकर जांच अधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश नहीं दिया. दुखी होकर यह काम किया है, क्योंकि एक साल से वे लगातार सभी बैठकों में अधिकारियों को लंबित मामलों के निपटान के आदेश दे रहे थे.


गृह मंत्री ने कहा कि 372 जांच अधिकारियों को निलंबित करने की इतनी बड़ी कार्रवाई पहली बार देश में हुई है. उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि इन 372 जांच अधिकारियों के अलावा जिन केस में जांच पेंडिंग हैं, उन जांच अधिकारी को भी निलंबन सूची में डालें. उन्होंने कहा कि इतने मामलों का लंबित होना पुलिस विभाग की तस्वीर को दर्शाता है. इसे हमें सुधारना है, ताकि लोगों को न्याय मिले और वे इधर से उधर भटकने पर मजबूर न होना पड़े. 


उन्होंने यह भी कहा कि जांच अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश से पहले पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इन जांच अधिकारियों से पत्राचार करके स्पष्टीकरण भी मांगा गया था, लेकिन संबंधित 372 जांच अधिकारियों का जवाब संतोषजनक नहीं था, इसलिए इन जांच अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देष दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि एक साल से ज्यादा लंबित मामले, जोकि फाइनल स्टेज पर हैं, उनका निपटान किसी भी तरह से किया जा सकता था, चाहे वह कोर्ट के माध्यम से यदि शिकायत झूठी है तो उसे रद्द करके या अन्य नियमानुसार किया जा सकता है, मकसद एक साल से लंबित केसों को निपटान होना था ताकि पीड़ित को समय रहते न्याय मिल सके. 


गृह मंत्री ने यह भी कहा कि इस विषय के बारे उन्होंने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक पी.के. अग्रवाल को पत्र लिखा था और उसके बाद लंबित केसों का आंकड़ा 3229 प्राप्त हुआ, जोकि बहुत बड़ा आंकड़ा है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि यही भ्रष्टाचार का कारण है कि पीड़ित को न्याय नहीं मिल रहा और शिकायतें लंबित पड़ी हैं.


अनिल विज ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कहा कि ‘‘मेरी जनता के प्रति जवाबदेही है, मेरे पास गृह विभाग है और लोगों को न्याय मिले, यह मेरा दायित्व भी है". उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि एक समाचार पत्र के माध्यम से उन्हें यह जानकारी मिली है कि एक डीएसपी दहेज के एक मामले में पांच साल से उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है और वह शिकायत लंबित है, उसे भी निलंबित किया गया है. उन्होंने बताया कि पीड़ित को इतने वर्षों बाद न्याय मिले, यह भी उचित नहीं है.


विज ने यह भी कहा कि जिन लंबित मामलों में कार्रवाई नहीं हुई है, उन्हें संबंधित जिलों के डीएसपी को सुपुर्द किया जाएगा और इन डीएसपी को भी यह सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे एक महीने के अंदर इन मामलों का निपटान करें अन्यथा उन पर भी कार्रवाई की जाएगी. वायरलेस के माध्यम से गृह मंत्री ने पुलिस कमीश्नर/डीआईजी व पुलिस अधीक्षकों से 372 जांच अधिकारियों के खिलाफ अब तक जो कार्रवाई की गई है, उसकी भी जानकारी ली.