जिस पर इंदिरा ने जताया था भरोसा, वही दिग्गज नेता बोला-कांग्रेस को गांधी परिवार से परे सोचने की जरूरत
Congress : हिमाचल चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पार्टी को बड़ा झटका दिया है. उन्होंने हिमाचल कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. पार्टी में लगातार बढ़ रहे असंतोष के बीच कांग्रेस को इस पर गहनता से विचार करना होगा.
नई दिल्ली: हिमाचल चुनाव (Himachal Election) से ठीक पहले कांग्रेस को उनके ही एक दिग्गज नेता आनंद शर्मा (Anand Sharma) ने बड़ा झटका दे दिया है. उन्होंने पार्टी में हो रहे अपने अपमान का हवाला देते हुए हिमाचल कांग्रेस की संचालन समिति (Himachal Congress steering Committee ) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. पद छोड़ते ही उन्होंने अपनी ही पार्टी पर बड़ा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को गांधी परिवार से परे सोचने की जरूरत है.
इससे पहले जी23 समूह के एक अन्य नेता गुलाम नबी आजाद ने कुछ दिनों पहले जम्मू-कश्मीर में कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. ऐसे में एक और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का इस्तीफा असंतुष्टों को शांत करने के कांग्रेस के प्रयासों के लिए एक नया झटका है.
ये भी पढ़ें : स्टैंडअप कॉमेडियन भी जांच के दायरे में, Delhi excise policy case में नया खुलासा
आनंद शर्मा ने कहा, 1978 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को निष्कासित किए जाने के बाद कई नेताओं ने पार्टी को बचाए रखा था, वे हमारे जैसे ही लोग थे. उन्होंने कहा, यह पार्टी हम सबकी है. एक न्यूज चैनल से बात करते हुए आनंद शर्मा ने पूछा, क्या कांग्रेस केवल इन दो नामों तक ही सीमित है? क्या हम कांग्रेस पार्टी के इतिहास का उपहास नहीं कर रहे हैं?
माना जा रहा है कि आनंद शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में कहा है कि विधानसभा चुनाव की योजना पर उनसे सलाह नहीं ली गई. इसके अलावा कई मौकों का हवाला दिया, जब उन्हें चर्चा के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. आनंद शर्मा ने कहा, मैंने भारी मन से इस्तीफा दिया है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह आजीवन कांग्रेसी है और अपने विश्वासों पर कायम हैं. शर्मा ने ट्वीट किया, मैं मेरे खून में दौड़ रही कांग्रेस की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हूं, इसमें कोई संदेह नहीं है. हालांकि एक स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में निरंतर बहिष्कार और अपमान को देखते हुए मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था.
ये भी पढ़ें : नोएडा में श्रीकांत त्यागी पार्ट 2, 'गालीबाज' महिला गार्ड से बोली-काट दूंगी प्राइवेट पार्ट
पत्र में लिखा, मेरा सेल्फ रेस्पेक्ट नॉन नेगोशिएबल
सूत्रों के मुताबिक आनंद शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा, हिमाचल चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस विधायक दल के नेता, अभियान समिति के अध्यक्ष व अन्य समितियों के वरिष्ठ नेताओं की बैठक 20 जून को हुई थी, जबकि प्रभारी व केंद्रीय एआईसीसी पर्यवेक्षकों ने 7 व 8 अगस्त को शिमला का दौरा किया था, लेकिन न मुझे सूचित किया गया और न ही किसी बैठक में आमंत्रित किया गया. शर्मा ने लिखा, मेरा सेल्फ रेस्पेक्ट नॉन नेगोशिएबल है और इसलिए मैंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि उन्होंने कहा कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे.
कांग्रेस नेता आज यानी मंगलवार से जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं. वह कसौली और अन्य जगहों पर अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे।
26 अप्रैल को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में संचालन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा दोनों G23 समूह के प्रमुख नेता हैं, जो पार्टी नेतृत्व के फैसलों के प्रति मुखर रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि आनंद शर्मा ने एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल को पत्र लिखकर समितियों की बहुलता और कार्यों के ओवरलैपिंग पर स्पष्टता मांगी थी.
आनंद का राजनीतिक सफर
आनंद शर्मा ने पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के दिग्गज नेता दौलत राम चौहान से हार गए थे. इसके बाद आनंद शर्मा ने चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने फिर से चुनाव करने का फैसला किया, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा. और इसके बाद फिर से चुनाव कराया गया था. शर्मा कई प्रमुख पदों पर रह चुके हैं. 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें टिकट देकर राज्यसभा में भेजा था, तब से वे उच्च सदन के सदस्य थे. सूत्रों ने कहा कि आनंद शर्मा को इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी के साथ दिल्ली में काम करने के लिए बुलाया था और फिर उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.