MCD की ड्राफ्ट परिसीमन रिपोर्ट पर AAP को आपत्ति, BJP से आजादी चाहती है जनता
दिल्ली में तीनों नगर निगमों का एकिकरण किया गया. इसके बाद अब MCD की ड्राफ्ट परिसीमन रिपोर्ट पर AAP ने आपत्ति दर्ज कराई है. आप का कहना है कि ये परिसीमन राजनिति से प्रेरित है.
तरुण कुमार/नई दिल्ली: आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज, एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक और चेयरमैन आदिल अहमद खान आज परिसीमन आयोग पहुंचे. आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली में वार्डों के परिसीमन के बारे में प्रारंभिक सुझाव और आपत्तियां परिसीमन आयोग को सौंपी हैं. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव जल्द से जल्द कराने की मांग की. आप प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि कुछ वार्डों की आबादी 35 हजार तो कुछ वार्डों में 93 हजार से अधिक है. यह प्रक्रिया राजनीति से प्रेरित है.
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राज्य चुनाव आयोग ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के विधायक को स्थानीय पदाधिकारियों के साथ परिसीमन मसौदा रिपोर्ट पर चर्चा करने और अपनी टिप्पणियों और आपत्तियों को तैयार करने के लिए कहा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने आज दिल्ली में वार्डों के परिसीमन के बारे में प्रारंभिक सुझाव और आपत्तियां परिसीमन आयोग को सौंपी है.
आबादी के हिसाब से बनाए जाने थे वार्ड
इसके अनुसार दिल्ली में वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 करने के एकल आदेश के साथ परिसीमन समिति का गठन किया गया था. समिति को 22 वार्डों को कम करने की आवश्यकता थी और इसका एकमात्र सही तरीका उन विधानसभा क्षेत्रों की पहचान करना था, जिनमें 4 से 7 वार्ड थे. उस विधानसभा क्षेत्र के शेष वार्डों में वहां की आबादी को समान रूप से वितरित करके उनमें से प्रत्येक में 1 वार्ड कम करना था. इसका मतलब है कि यदि किसी विधानसभा क्षेत्र में मूल रूप से 6 वार्ड थे तो समिति द्वारा इसे घटाकर 5 किया जाना चाहिए. यदि किसी विधानसभा क्षेत्र में 4 वार्ड हैं तो परिसीमन के बाद 3 वार्ड होने चाहिए. ऐसे में इन 22 विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र में बदलाव करने की जरूरत नहीं थी. जहां अन्य शेष वार्डों में एक-एक वार्ड भंग किया जा रहा था, लेकिन विधानसभा क्षेत्रों में वार्डों की संख्या बदले बिना अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों के अधिकांश वार्डों को डिस्टर्ब किया है, तो यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित है.
इस दौरान उन्होंने कहा कि कई निर्वाचन क्षेत्र ऐसे थे, जहां वार्डों की संख्या न तो बढ़ाई गई और न ही घटाई गई, लेकिन कुछ क्षेत्रों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है. ऐसे में परिसीमन समिति को दिल्ली के लोगों को यह कदम उठाने के पीछे की वजह बतानी होगी. पहले जनसंख्या समान रूप से संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के वार्डों में फैली हुई थी और उनकी आबादी करीब समान थी. परिसीमन समिति ने मनमाने ढंग से वार्डों की सीमाएं बदल दी हैं. अब कुछ वार्डों की आबादी 35 हजार से कम है, जबकि कुछ वार्डों में 93 हजार से अधिक लोग रह रहे हैं. ऐसे में यह प्रक्रिया तर्कहीन है और राजनीति से प्रेरित है.
राज्य चुनाव आयोग की ओर से 2011 की जनगणना के जनसंख्या आंकड़ों को परिसीमन के लिए बेंचमार्क के रूप में लिया है, जिसके अनुसार दिल्ली की जनसंख्या कुल 1,64,18,663 है. इसका मतलब है कि दिल्ली के 250 वार्डों की औसत जनसंख्या 65,674 होनी चाहिए. वर्तमान परिसीमन मसौदे ने असमानता की स्थिति पैदा कर दी है, जिसमें वार्डों के जनसंख्या साइज में काफी अंतर है. उदाहरण के लिए मयूर विहार फेज-1 वार्ड में आबादी 93,381 है, जबकि चांदिनी चौक में 35,509 है. परिसीमन से पहले 90 हजार से अधिक आबादी वाले वार्ड नहीं थे. अब हमारे पास 9 लाख से अधिक वाले 2 वार्ड हैं. पहले 80 हजार से 90 हजार की आबादी वाले सिर्फ 3 वार्ड थे, लेकिन परिसीमन के बाद 80 हजार से 90 हजार के बीच की आबादी वाले 30 वार्ड हैं.
इससे छोटे वार्डों को ज्यादा फंड का मिलेगा लाभ
भले ही जनसंख्या साइज में अंतर एक बड़ी बात न लगे, लेकिन वास्तव में इससे हर एक घनी आबादी वाले वार्ड को काफी नुकसान हो सकता है. एमसीडी शासन के तहत सभी वार्डों में स्वच्छता व्यवस्था, आंतरिक सड़कों की मरम्मत, वर्षा जल की निकासी का रखरखाव, पार्कों की मेंटेनेंस जैसे विकास कार्यों के लिए पार्षद फंड के तौर पर हर वार्ड को समान राशि दी जाती है. मान लीजिए अगर किसी पार्षद फंड से उसके वार्ड के लिए एक करोड़ सालाना की राशि मिलती है, तो 35 हजार की आबादी वाले वार्ड को भी एक करोड़ और 90 हजार से अधिक की आबादी वाले वार्ड को भी एक करोड़ फंड ही मिलेगा. इसका मतलब यह है कि घनी आबादी वाले वार्डों को लगातार धन की कमी का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उन्हें ज्यादा लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधनों की जरूरत होगी, जबकि छोटे वार्डों को ज्यादा फंड का लाभ मिलेगा.
यह भी देखा गया है कि कम इनकम ग्रुप के पहले से ही वंचित वार्डों में उनकी आबादी में बढ़ोतरी कर अंधेरे में धकेला है. कम आबादी के लिए अमीर और समृद्ध वार्डों को चुना गया है. उदाहरण के लिए ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र में सीआर पार्क, ग्रेटर कैलाश और चिराग दिल्ली आदि तीन वार्ड हैं. वार्डों की संख्या ज्यों का त्यों है, जबकि एरिया को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है. परिसीमन से पहले सभी वार्डों की आबादी करीब 60 हजार थी. ग्रेटर कैलाश-1 वार्ड की आबादी 59,633 थी, लेकिन अब परिसीमन मसौदा आदेश में इसे घटाकर 45,174 कर दिया गया है. वहीं, चिराग दिल्ली वार्ड, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र और निम्न आय वर्ग के चिराग दिल्ली गांव, जगदंबा कैंप, सावित्री नगर, स्वामीनगर कैंप और लाल गुंबद कैंप की आबादी 62,446 थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 77,698 कर दिया गया है. इसलिए परिसीमन मूलरूप से वार्डों में जनसंख्या असंतुलन का कारण बन गया है, जबकि जनसंख्या पहले समान रूप से वितरित की गई थी.
परिसीमन का फॉर्मूला नहीं किया सार्वजनिक
परिसीमन के फॉर्मूला और अभ्यास के पीछे के लॉजिक को एसईसी या परिसीमन आयोग की ओर से सार्वजनिक नहीं किया गया था, जिसके कारण राजनीतिक दलों ने अभ्यास में पारदर्शिता की कमी को लेकर आलोचना की थी. कई लोगों का कहना है कि जहां 22 वार्डों को कम किया जाना था. इसके लिए 22 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक को आसानी से 1 वार्ड कम किया जा सकता था, जबकि अन्य विधानसभा क्षेत्रों में वार्ड समान होने चाहिए थे. वहीं दिल्ली के प्रत्येक शेष विधानसभा क्षेत्र में वार्डों को पुनर्गठित किया गया है, जबकि उन निर्वाचन क्षेत्रों में वार्डों की कुल संख्या समान है. इसके अलावा कई वार्ड ऐसे हैं, जिनमें ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जिनका उस वार्ड के शेष क्षेत्रों से कोई लेनादेना नहीं है. ऐसे में इनमें आईलैंड बना दिए है. इसके चलते प्रशासनिक रूप से ऐसे क्षेत्रों को मैनेज करना आसान नहीं है और यह परिसीमन अभ्यास के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है.
बता दें कि प्रत्येक वार्ड के लिए समान फंड दिया जाता है, जबकि इन वार्डों में जनसंख्या 35 हजार से 90 हजार तक है. इससे प्रति व्यक्ति डेवलपमेंट फंड में काफी असंतुलन होगा. हालांकि, केवल 22 विधानसभा क्षेत्रों में परिसीमन के तहत 1 वार्ड की कमी की जानी थी, लेकिन ड्राफ्ट आर्डर में अधिकांश 70 विधानसभा क्षेत्रों के वार्ड स्ट्रक्चर को रिआर्गेनाइज किया गया है.
BJP से आजादी चाहती है जनता
आम आदमी पार्टी के विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि आज हमलोग एमसीडी चुनाव को लेकर परिसीमन आयोग से मिले. हमने उन्हें पहले ड्राफ्ट का फीडबैक दिया. विशेष रूप से दो मुद्दे थे. पहला, पूरी दिल्ली में जो वॉर्ड बनाए गए हैं, कहीं पर 90-95 वोट हैं और कहीं पर 30 हजार वोट हैं तो समस्या यह है कि हर वॉर्ड के लिए एक निश्चित फंड राशि आता है. ऐसे में लोगों को शासन में बहुत दिक्कत आएगी. हमने कहा कि इसका एक तरीका बनाइए, एक सीमित आबादी हो जिससे कि जो भी पार्षद चुना जाए. वह अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सके.
दूसरा, कई जगहों पर आईलैंड बना दिए गए हैं, जिनसे किसी वॉर्ड का कोई लेना देना नहीं है. इसके अलावा एक और मुद्दा शामिल किया है कि कई जगह नामों में फर्क है. इन्हीं सब चीजों को लेकर हमने परिसीमन आयोग को ड्राफ्ट बनाकर दिया है. साथ ही हमने उनसे यह भी मांग की है कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं, क्योंकि दिल्ली की जनता बहुत परेशान है. भारतीय जनता पार्टी ने पूरी दिल्ली में कूड़ा-कूड़ा कर रखा है. जहां भी जाओ, हर गली में कूड़ा है. इसलिए लोग भाजपा के भ्रष्टाचारी शासन से आजादी चाहते हैं.