Bisleri के बनने, संवरने और अब TATA को बिकने की पूरी कहानी
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Bisleri के बनने, संवरने और अब TATA को बिकने की पूरी कहानी

Bisleri Story: एक समय ऐसा भी था जब पानी खरीदने या बेचने की बात करने पर लोग हंसते थे, लेकिन केवल कुछ ही दशकों में पानी बेचने-खरीदने का उद्योग 20,000 करोड़ से ज्यादा का हो गया. ऐसी ही कुछ कहानी है देश के सबसे बड़े पानी के ब्रांड बिसलेरी की.

Bisleri के बनने, संवरने और अब TATA को बिकने की पूरी कहानी

नई दिल्ली: Bisleri Water Bottle: देश में पानी का सबसे फेमस ब्रांड बिसलेरी (Bisleri) को जल्द ही नया मालिक मिल सकता है. दरसल बिसलेरी के चेयरपर्सन रमेश चौहान ने कहा है कि बिसलेरी को संभालने के लिए परिवार में कोई भी इंटरेस्टेड नहीं है और बिसलेरी जैसे ब्रांड को ऐसे ही खत्म नहीं होने दे सकते, इसलिए बिसलेरी को जिम्मेदार हाथों में सौंपना जरूरी है. बिसलेरी की जब शुरुआत हुई तो भारत में किसी ने सोचा भी नहीं था कि पानी कभी बंद बोतलों में दुकानों पर बेचा जाएगा. कैसे 4 लाख रुपये में खरीदा गया ब्रांड आज लगभग 7,000 करोड़ में रुपये में बिक रहा है. 

कैसे हुई Italy के ब्रांड Bisleri की India में एन्ट्री
बिसलेरी की शुरुआत यूरोपीय देश इटली से हुई थी और ये शुरु में पानी नहीं बेचती थी, बल्कि बिसलेरी एक फार्मास्युटिकल कम्पनी थी, जो मलेरिया की दवा बेचने का काम करती थी. बिसलेरी के फाउण्डर बिजनेसमैन फेलिस बिसलेरी (Felice Besleri) थे. फेलिस की मौत के बाद उनके परिवार के डॉक्टर रॉसी ने कंपतनी को संभाला और अपने पहचान के भारतीय वकील खुशरू संतकू के साथ मिलकर बिसलेरी को भारत में लॉन्च किया.    

4 लाख में पार्ले की हुई थी बिसलेरी  
साल 1969 में रमेश ने बिसलेरी को 4 लाख रुपए में खरीदा. बिसलेरी को 60 के दशक में खरीद कर रमेश चौहान का सपना पानी बेचने का नहीं था बल्कि वो तो बिसलेरी ब्रांड के तले सोडा बेचना चाहते थे. आगे चलकर रमेश ने सोडा बेचा भी, लेकिन पानी बेचना भी कभी बंद नहीं किया. बिसलेरी की कमान जब रमेश के हाथ में आई तो उस समय में बिसलेरी के देशभर में केवल 5 ही स्टोर हुआ करते थे. मुंबई में 4 स्टोर तो कोलकाता में बिसलेरी का एक स्टोर था. 

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साल 1985 में चमका ब्रांड बिसलेरी 
80 का आधा दशक बीत जाने का बाद प्लास्टिक की बोतलें मार्केट में इंन्ट्रोड्यूस हुई. जिसके बाद पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर इंडस्ट्री के दिन हमेशा के लिए बदल गए. प्लास्टिक बोतल से पहले पानी कांच की बोतलों में बिकता था, लेकिन प्लास्टिक बॉटल्स हल्की, पोर्टेबल, रिसाइकलेबल थी और किसी भी शेप में आसानी से ढाली जा सकती थी. प्लास्टिक की बोतलों ने पैकिंग की समस्या हल कर दी, जिसके बाद इस इंडस्ट्री ने रफ्तार पकड़ी.  

90 के दशक में बढ़ी चुनौतियां 
आर्थिक उदारीकरण के बाद देश में MNCs की एन्ट्री हुई और इंडस्ट्री में कॉम्प्टीशन काफी बढ़ गया. बेली, एक्वाफीना और किनले जैसे ब्रांड्स ने मार्केट में सेंधमारी की, लेकिन बिसलेरी की मार्केटिंग ने उसे बाकी के ब्रांड्स से अलग पहचान दी. बिसलेरी शुद्धता का पर्याय बन गई. यूनीक मार्केटिंग कैंपेन ने बिसलेरी को बाजार में एक अग्रणी ब्रांड बना दिया और संगठित मार्केट का बिसलेरी मार्केट लीडर बन के उभरी. 

7 हजार करोड़ में बिसलेरी को खरीदेगी TATA
खबरों की मानें तो बिसलेरी की टाटा के साथ बातचीत चल रही है और दोनों के बीच लगभग 7 हजार करोड़ में बिसलेरी को बेचने की डील फाइनल हो सकती है. बता दें कि बोतल बंद पानी का उद्योग भारत में 20 हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा का है. इस उद्योग में बिसलेरी का अकेले का शेयर लगभग 35 प्रतिशत का है. 250ml, 500ml, 1 लीटर, 1.5 लीटर, 2 लीटर, 5 लीटर और 20 लीटर के पैकिंग के साथ बिसलेरी का पानी 7 तरह के साइज में उपल्ब्ध है.

Input: हर्ष मिश्रा

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