एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर 900 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. दिल्ली सरकार पर जुर्माना लैंडफिल साइट से कुड़े का कुशल प्रबंधन न होने और इससे बढ़ते प्रदूषण के चलते लगाया गया है.
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New Delhi News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) को 900 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि 3 लैंडफिल साइट गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में करीब 80 फीसदी कचरा पुराना है, जिसका अब तक निपटान नहीं किया गया है. जुर्माने का आंकलन NGT ने लैंडफिल साइट्स की बहाली के बराबर लगाया है. एनजीटी ने 300 रुपये प्रति मैट्रिक टन कचरे के हिसाब से 900 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
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इस दौरान न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल और अफरोज अहमद भी थे. एनजीटी ने कहा कि शासन की कमी के कारण नागरिकों को आपात स्थिति झेलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. वहीं बेंच ने कहा कि मीथेन और अन्य हानिकारक गैसों का लगातार उत्सर्जन हो रहा है. इससे भूजल दूषित होता जा रहा है. बेंच ने कहा कि आग लगने की बार-बार घटनाएं होने के बावजूद न्यूनतम सुरक्षा उपाय भी नहीं अपनाए गए हैं.
एनजीटी ने कहा कि महंगी सार्वजनिक भूमि पर कचरे का ढेर लगा है. एनजीटी ने कहा कि 152 एकड़ जमीन है और सर्किल रेट के हिसाब से इसकी कीमत 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है. एनजीटी ने बताया कि नागरिकों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ है और संबंधित अधिकारी पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उपाय करने में नाकाम रहे हैं.
एनजीटी ने कहा कि सरकार ने कानून के तहत उचित कदम नहीं उठाए हैं, जो कि गंभीर वास्तविक आपातकालीन स्थिति के अनुरूप नहीं हैं. यह नागरिकों और पर्यावरण की सुरक्षा और स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं. बेंच ने कहा कि इसमें अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं होती है.
वहीं एनजीटी ने कहा कि हम दिल्ली सरकार को दिल्ली को तीन लैंडफिल साइट पर 3 करोड़ मीट्रिक टन निपटान नहीं किए गए कचरे को लेकर 900 करोड़ रुपये के पर्यावरणीय मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी मानते हैं. पीठ ने कहा है कि इस राशि को दिल्ली के मुख्य सचिव के निर्देशों के तहत संचालित होने वाले अलग खाते में जमा किया जा सकता है.