RRTS Project: RRTS के लिए फंड न देने पर SC ने दिल्ली सरकार से जताई नाराजगी, दिया एक हफ्ते का समय
RRTS Project News: रेपिड रेल प्रोजेक्ट (RRTS) के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से फंड न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है, कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फंड देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. 28 नवंबर को फिर इस मामले की सुनवाई होगी.
RRTS Project News: सुप्रीम कोर्ट ने रेपिड रेल प्रोजेक्ट (RRTS) के लिए दिल्ली सरकार की ओर से अपने हिस्से का पैसा न देने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को विज्ञापन फंड का पैसा इस प्रोजेक्ट के लिए ट्रांसफर करने का आदेश भी दे दिया. हालांकि, दिल्ली सरकार के अनुरोध पर कोर्ट ने इस आदेश पर अमल 1 हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर 1 हफ्ते में दिल्ली सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं दिया तो विज्ञापन के लिए आवंटित पैसा प्रोजेक्ट के लिए ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
दरअसल, आरआरटीएस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली को उत्तर प्रदेश में मेरठ, राजस्थान में अलवर और हरियाणा में पानीपत तक जोड़ने वाले सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाये जाने का प्लान है. इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार के अलावा उन राज्यों को भी आर्थिक योगदान करना है, जिनसे होकर ये ट्रेन गुजरेगी. लेकिन दिल्ली सरकार फंड की कमी का बहाना कहकर अपने हिस्से का पैसा देने से कतरा रही है. दिल्ली -अलवर, दिल्ली-मेरठ, और दिल्ली -पानीपत प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार पर इस साल के लिए 565 करोड़ बकाया है. इससे पहले 24 जुलाई को इस मामले की सुनवाई में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार की ओर से पैसा दिया जाएगा, लेकिन दिल्ली सरकार की ओर से पैसा नहीं दिया गया. जिसके बाद नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (NCRTC) की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका में कोर्ट के पुराने आदेशों का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार को बकाया रकम देने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है.
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सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट को दिए गए आश्वासन का सीधे तौर पर उल्लंघन है. पिछले तीन सालों में विज्ञापन के लिए दिल्ली सरकार ने 1,100 करोड़ का बजट रखा है. इस साल का विज्ञापन बजट 550 करोड़ है, लेकिन उनके पास अहम प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं है. अगर इस तरह के अहम प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे है और इनके बजाए पैसा विज्ञापनों पर खर्च किया जा रहा है तो हम विज्ञापनों के लिए आवंटित फंड को RRTS प्रोजेक्ट के ट्रांसफर करने के लिए मजबूर होंगे. हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से वकील मीनाक्षी अरोरा ने एक हफ्ते का वक्त दिए जाने का मांग करते हुए आग्रह किया कि कोर्ट कोई ऐसा आदेश जारी न करे. इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक हफ्ते का वक्त दे दिया. कोर्ट ने कहा कि हम मामले की सुनवाई 28 नवंबर को रख रहे हैं. उस दिन हम देखेंगे कि दिल्ली सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. अगर इस दरमियान RRTS प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं दिया जाता है तो विज्ञापन फंड का पैसा प्रोजेक्ट के लिए ट्रांसफर करने का आदेश लागू हो जाएगा.
कांग्रेस ने साधा निशाना
इस पूरे मामले में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने भी AAP पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन खस्ताहाल है. दिल्ली सरकार को रैपिड रेल परियोजना में पूरा सहयोग करना चाहिए था, क्योंकि परियोजना के समय पर पूरा होने से दिल्ली के लाखों परेशान यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में राजधानी में सार्वजनिक परिवहन में जल्द सुधार की कोई संभावना नहीं है. दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था नाकाफी होने की वजह से लोगों को अपने निजी वाहनों का ज्यादा प्रयोग करना पड़ता है, जिससे दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है. दिल्ली सरकार का रैपिड रेल परियोजना पर अपनी वित्तीय हिस्सेदारी की अदायगी न करना AAP सरकार की निष्क्रियता को दर्शाता है.