MCD Standing Committee Election: दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने को लेकर  मेयर शैली ओबरॉय की ओर से जारी नोटिस पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस संबंध में दो बीजेपी पार्षद- शिखा राय और कमलजीत सेहरावत की ओर से दायर याचिका पर मेयर, एलजी ऑफिस और एमसीडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके अलावा कोर्ट ने मेयर को बैलटबॉक्स, पेपर, सीसीटीवी फुटेज के अलावा 24 फरवरी को हुए चुनाव से जुड़ी जानकारियों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है.


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कोर्ट ने मेयर के फैसले को नियमों के खिलाफ माना


कोर्ट ने कहा कि मेयर शैली ओबरॉय का पहले हुए चुनाव का परिणाम घोषित किये बगैर नए सिरे से चुनाव करना नियमों (रेगुलेशन 51- न्यू दिल्ली म्यूनिसपल कॉरपोरेशन रेगुलेशन, 1997) का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि नियमों के मुताबिक मेयर को ये अधिकार ही नहीं है कि वो स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों चुनाव को इस तरह अमान्य घोषित कर दें. कोर्ट ने कहा कि 27 फरवरी को चुनाव कराने से कुछ हासिल नहीं होगा. लिहाजा वो मेयर के 24 फरवरी को जारी नोटिस पर अगली सुनवाई तक रोक लगा रहा है.


कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें


दो बीजेपी पार्षद शिखा राय और कमलजीत सेहरावत ने एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के फिर से चुनाव कराने के मेयर के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी. शनिवार को अवकाश के दिन हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच ने सुनवाई की. पार्षदों की ओर से महेश जेठमलानी पेश हुए. कोर्ट को बताया गया कि स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव 24 फरवरी को ही चुका है, लेकिन मेयर ने बिना चुनाव परिणाम घोषित किये उसी दिन फिर से चुनाव कराने का नोटिस जारी कर दिया. मेयर का ये फैसला मनमाना और नियमों के खिलाफ है.


वही दूसरी ओर मेयर की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी कि पार्षदों के सदन के अंदर गैरवाजिब व्यवहार के चलते और मेंबर सेक्रेटरी और टेक्निकल एक्सपर्ट का मेयर को सहयोग न मिलने के चलते उनके पास 24 फरवरी को हुए चुनाव की अमान्य घोषित कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.


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मेयर ने बताई अपनी जीत


तो वहीं, मेयर शैली ओबरॉय ने अपने बयान में कहा कि इस आर्डर को मैं हमारी जीत मानूंगी. कल जो हुआ सबने देखा.  कैसे बीजेपी काउंसलर ने मुझ पर हमला किया. यह शर्मनाक घटना थी. आज का दिन अच्छा रहा हमारी जीत हुई. DMC ऐप में साफ-साफ लिखा है कि प्रिसाइडिंग आफिसर का अधिकार था. एक-एक वोट को स्वीकार या अस्वीकार करने का. जो एक्सपर्ट आए उन्होंने सीट पर रिजल्ट बना लिया था. एक वोट इनवैलिड (अवैध) था, उसे मैंने इनवेलिड किया तो बीजेपी के लोग हल्ला मचाने लगे.


इस बीच आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने अपने बयान में कहा कि कोर्ट ने वो बात नहीं मानी, रिजल्ट वही डिक्लेयर हो सकता है जो मेयर करेंगी. ये कानून है… कोई उसका असिसटेंट नया रिजल्ट बनाकर ले आएगा तो ये नहीं चलता है. ऐसा कोई कानून नहीं, जहां मेयर द्वारा डिक्लेयर नहीं हो और कोर्ट डिक्लेयर कर दे. इसी के साथ उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब चुनाव का रिजल्ट डिक्लेयर हो रहा था, बीजेपी पार्षदों ने मेयर पर हमला किया और सारे बैलेट पेपर लूट लिए, इस कारण मेयर रिजल्ट घोषित नहीं कर पा रही थी. मैं बहुत खुश हूं, अब इस मामले को कोर्ट सुनेगा और जो भी फैसला होगा वो हमें मंजूर होगा.