Delhi High Court News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 में एक महिला के कथित अपहरण और सामूहिक बलात्कार के मामले में चार लोगों को सोमवार को बरी कर दिया, जिन्हें निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन अब जाकर उन्हें बरी कर दिया गया है.


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हाईकोर्ट ने कही ये बड़ी बात
निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली चार पुरुषों की अपील को विचारार्थ स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला और उसके माता-पिता ने आरोपियों के खिलाफ कोई बात नहीं कही है और अभियोजन पक्ष के मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने अपने फैसले में कहा, "जांच सही तरीके से नहीं की गई. न तो पीसीआर फॉर्म रिकॉर्ड में रखा गया और न ही महिला के मोबाइल का सीडीआर रखा गया."


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आरोप नहीं हुआ साबित
उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत ने इस तथ्य को कोई अहमियत नहीं दी कि महिला ने 29 जुलाई, 2018 को पुलिस के समक्ष बयान दिया था, जिसमें उन्होंने पुरुषों पर अपना अपहरण किए जाने और जबरन शारीरिक संबंध बनाए जाने का आरोप लगाया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि उसके बाद जब महिला को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया तो उसने दावा किया कि वह खुद अपने घर से निकली थी और उसने गवाह के कठघरे में खड़े होकर भी यही बयान दिया. अदालत ने कहा, "ऐसी स्थिति में एक तरह से ऐसा कुछ नहीं है, जिससे यह संकेत मिल सके कि महिला को अगवा किया गया था और फिर बंधक बनाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया."