Delhi History: कैसे पड़ा दिल्ली के वजीराबाद का नाम, जानें इसके किले और पुल की अनसुनी कहानी
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1742192

Delhi History: कैसे पड़ा दिल्ली के वजीराबाद का नाम, जानें इसके किले और पुल की अनसुनी कहानी

Delhi Wazirabad History: नॉर्थ दिल्ली के वजीराबाद पुल और प्रसिद्ध प्राचीन धरोहर वजीरबाद गांव की खास पहचान है. इस प्राचीन धरोहर को काली मस्जिद, शिकारगाह, आरामगाह और कई अन्य नामों से जाना जाता है. यह मुगलकालीन प्रचीन धरोहर करीब 750 साल पुरानी है. आइए इसके बारे में आपके विस्तार से बताते हैं. 

Delhi History: कैसे पड़ा दिल्ली के वजीराबाद का नाम, जानें इसके किले और पुल की अनसुनी कहानी

Delhi Historical Places: नॉर्थ दिल्ली के वजीराबाद पुल और प्रसिद्ध प्राचीन धरोहर वजीरबाद गांव की खास पहचान है. इतिहास के मुताबिक भले ही इस पुल का निर्माण तुगलक काल 1351-1388 में किया गया हो, लेकिन वजीरबाद गांव के लोग कहते हैं कि यह प्राचीन धरोहर करीब 750 साल से भी ज्यादा पुराना है. वहीं देश की सबसे बड़े अरावली पर्वत श्रृंखला भी इसी धरोहर गांव से शुरू होती है.

आज आपको वजीराबाद में स्थित एक ऐसी प्राचीन धरोहर के बारे में बता रहे हैं, जिसका शाहआलम मजीद है, वैसे इस प्राचीन धरोहर को काली मस्जिद, शिकारगाह, आरामगाह और कई अन्य नामों से जाना जाता है. यह मुगलकालीन प्रचीन धरोहर करीब 750 साल पुरानी है. जिसकी रेख-देख आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) कर रहा है.

वजीरबाद गांव के पास यह पुरानी धरोहर को लेकर किदवंती है कि पहले यहां पर काफी घना जंगल था. फिरोजशाह तुगलक के शासन काल के दौरान फिरोजशाह तुगलक का वजीर अपने घोड़ों को पानी पिलाने और आराम करने के लिए अक्सर यहां आया करता था. यमुना के किनारे फिरोजशाह तुगलक के वजीर ने ही आरामगाह और इस पुल का निर्माण करवाया था. बाद में फिरोजशाह तुगलक के वजीर ने यहां पर एक गांव बसाया, जिसका नाम वजीराबाद गांव रखा गया. दिल्ली को लेकर एक प्राचीन कहावत है कि नौ दिल्ली 10 बादली किला वजीर का वजीराबाद दरअसल दिल्ली नौ बार उजड़ी बसी और बादली 10 बार, लेकिन ऊंचे टीले पर बसे वजीराबाद गांव का किला कभी नहीं ढहा. 

ये भी पढ़ें: Delhi News: दिल्ली में खुदाई के दौरान मिली 13वीं शताब्दी की सुरंग, ASI जल्द खोलेगा इतिहास में दफन राज

इस प्राचीन धरोहर के साथ एक प्राचीन काल का आधुनिक पुल बना हुआ है. जिसके अंदर संरचना की दृष्टि से पुल 9 मेहराबों और स्तंभावली पर आधारित है. यह पुल लगभग 7 सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है. पहले यमुना नदी इस प्राचीन पुल के नीचे से बहती थी. स्थानीय निवासियों के अनुसार वजीराबाद के प्राचीन पुल के नीचे एक सुरंग है जो लाल किले के अंदर तक जाती है. इसी सुरंग से पृथ्वीराज चौहान की बेटी बेला वजीराबाद पुल के नीचे यमुना में स्नान करने आती थी. हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से अब इस सुरंग को बंद कर दिया गया है, लेकिन सुरंग की ओर जाने वाली सीढ़ियां वहां अब भी नजर आती हैं. 

आपको बता दें यह प्राचीन धरोहर एक सुंदर धरोहर है, जिसमें क्याई बुर्ज स्तंभ पार्क और सीढ़ियां बनी हुई है. इस जगह ज्यादातर सैलानी,  दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र जो प्राचीन धरोहरों पर रिसर्ज करते है. वह अक्सर यहां पर आते और इतिहास के पन्नो के खंगालते हैं. कुछ इस इमारत में घूमने आने वाले सैलानियों ने बताया कि इस इमारत में कोई सुविधाएं नहीं है. जिसकी वजह से यहां लोग कम घूमना पसंद करते हैं. वही जो ऐतिहासिक पुराना पुल है वह कहीं न कहीं अब प्रशासन की लापरवाही के चलते धीरे-धीरे प्राचीन धरोहर का इतिहास लुप्त होता हुआ नजर आ रहा है. जिस पर आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ( ASI) की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

फिलहाल आपको बता दें आज वजीराबाद के पास बनी इस प्राचीन धरोहर देखते हुए शासन प्रशासन की तरफ से संज्ञान लेना चाहिए और इस ऐतिहासिक धरोहर को संझौ कर रखा जाए, जिससे कि भविष्य में आने वाली युवा पीढ़ियों को ऐताहिक प्राचीन धरोहर की सही जानकारी मिल सके.

Input: नसीम अहम

Trending news