नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने के मामले में दिल्ली की आप सरकार और LG वीके सक्सेना के बीच खींचतान जारी है. आप सरकार के लगातार प्रदर्शन और आरोप प्रत्यारोप के बीच LG ने एमसीडी की दूसरी बैठक 24 जनवरी को बुलाने की इजाजत दी है. इसमें मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के छह सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी. इधर दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी नेता रामबीर सिंह बिधूड़ी ने उपराज्यपाल विनय सक्सेना से एमसीडी की बैठक में उचित सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की है. 


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इधर शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने के मुद्दे पर राज निवास ने एक बार स्पष्ट किया कि एलजी ने फिनलैंड में प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है. इससे जुड़ा कोई भी बयान जानबूझकर भ्रामक और शरारत से प्रेरित है. सरकार को सलाह दी गई है कि वह छात्रों को प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में समग्र रूप से प्रस्ताव का मूल्यांकन करें और लागत और लाभ का विश्लेषण करें, ताकि अतीत में किए गए शिक्षकों के लिए विभिन्न विदेशी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके.


सूत्रों के मुताबिक एलजी ने देश के भीतर उत्कृष्ट संस्थानों में समान प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जांच और पहचान करने की भी सलाह दी है, ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग और प्रशासनिक प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके.


आप ने निकाला पैदल मार्च
इससे पहले आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार का पैदल मार्च एलजी आवास के पास पहुंचा, जहां पर दिल्ली पुलिस ने सभी मार्गों पर बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर रखा था. इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि हम अपनी बात को शांतिपूर्ण ढंग से उपराज्यपाल के पास रखने आए हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस हमें आगे जाने नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता तानाशाही सहन नहीं करेगी. दिल्ली लोकतंत्र से चलेगी.  LG साहब को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानने ही पड़ेंगे


सिसोदिया ने किया ट्वीट से वार 
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया-क्या एक पूर्ण बहुमत से चुनी हुई सरकार व मुख्यमंत्री अपने शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने तक का निर्णय नहीं ले सकते? LG द्वारा फिनलैंड में दिल्ली सरकार के शिक्षकों की ट्रेनिंग पर रोक सिर्फ गैरकानूनी नही, बल्कि 2 करोड़ दिल्लीवासियों के जनमत का अपमान व लोकतंत्र की सरेआम हत्या है.