MCD Elections में वोटिंग परसेंटेज तय करेगा जीत हार का गणित, जानें किसका पलड़ा है भारी
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MCD Elections में वोटिंग परसेंटेज तय करेगा जीत हार का गणित, जानें किसका पलड़ा है भारी

Delhi MCD Elections 2022: दिल्ली नगर निगम (MCD) में 2007 के बाद सबसे कम वोटिंग हुई है, इस बार महज 50.47% मतदान हुआ है. कम वोटिंग का असर चुनाव के नतीजों पर भी देखने को मिलेगा.   

MCD Elections में वोटिंग परसेंटेज तय करेगा जीत हार का गणित, जानें किसका पलड़ा है भारी

नई दिल्ली: रविवार को दिल्ली नगर निगम (MCD) के सभी 250 वार्डों में मतदान किया गया. वोटिंग सुबह 8 बजे से शुरू हुई और शाम 5 बजकर 30 मिनट तक चली. इस दौरान 50.47% मतदान हुआ, जो साल 2007 के बाद सबसे कम है. चुनाव के नतीजे 7 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे, जिसके बाद जीत-हार का पता लगेगा.

इससे पहले साल 2017 में 53.55% मतदान हुआ था, तो वहीं 2012 में 53.39% और 2007 में 43.24% मतदान हुआ. इस बार पिछले चुनाव से 3 फीसदी कम मतदान हुआ है,जिसके बाद इसे राजनीतिक रुप से देखने की कोशिश भी शुरू हो गई है. 

कम वोटिंग से किसे फायदा और किसे नुकसान
दिल्ली नगर निगम में पिछले 15 साल से BJP का एकाधिकार रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ राज्य में AAP सरकार है. MCD चुनाव में जहां BJP दिल्ली की AAP सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरती नजर आई, तो दूसरी तरफ AAP ने कचरे और वार्ड के मुद्दों को उठाकर वोटर्स को साधनें का प्रयास किया है.

इस बार के चुनाव में दिल्ली के पॉश इलाके के लोग भी वोटिंग से किनारा करते नजर आए. इन पर AAP और BJP दोनों का अच्छा प्रभाव माना जाता है. ऐसे में कम वोटिंग से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा इस बात का अंदाजा लगा पाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन कहीं न कहीं इसके लिए राजनीतिक पार्टियों को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. 

टिकट बंटवारे को लेकर हुआ विवाद
दिल्ली में BJP, AAP और कांग्रेस तीनों बड़ी पार्टियों में टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं की बीच झड़प देखने को मिली. एक वार्ड से एक से अधिक दावेदार होने की वजह से जिन लोगों का टिकट काटा गया वो चुनाव प्रचार से किनारा करते नजर आए. चुनाव में मतदाताओं के न पहुंचने की एक वजह ये भी रही. 

शादियां भी जिम्मेदार
शादियों के सीजन की शुरुआत के साथ ही कुछ लोग, अपने रिश्तेदारों के यहां शादी में शामिल होने के लिए शहर से बाहर थे, तो वहीं कुछ लोग तैयारियों में व्यस्त. ये भी एक बड़ी वजह रही कि लोग वोटिंग के लिए नहीं पहुंचे. 

परिसीमन से परेशानी
दिल्ली नगर निगम में परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या कम हो गई. कई वार्ड एक होने की वजह से लोग अपने मतदान केन्द्र का पता नहीं लगा पाए. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार सहित हजारों लोगों का नाम मतदाता सूची से गायब हो गया, जिसकी वजह से लोग मतदान केन्द्र पहुंचने के बाद भी वोटिंग नहीं कर पाए. 

 

 

 

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