Delhi News: एक तरफ वर्तमान भारत सरकार रोजगार अभियान चला रही है, तो दूसरी ओर एम्स निदेशक एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा एम्स में 3000 से अधिक रिसर्च स्टाफ को हटाने की तैयारी चल रही है. इसको लेकर रिसर्च से जुड़े सैकड़ों कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया.


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एक तरफ कोरोना काल में इन लोगों को 'Corona Warrior' बनाकर फूल बरसाए गए. आज एम्स निदेशक एव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इनकी नौकरी छीनी जा रही है,  जबकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) एवं हाईकोर्ट (High Court) ने एम्स प्रशासन को समय-समय पर सभी कर्मचारियों को 15 साल की सेवा के बाद नियमित करने का आदेश दिया था. साथ ही ये भी कहा था कि 10 वर्ष से कार्यरत कर्मचारियों को 15 साल की सेवा का अवसर दें एवं 15 साल के बाद नियमित करें. इन्हीं आदेशों में एम्स प्रशासन को ये भी सलाह दी है कि 10 वर्ष से कम समय से काम कर रहे लोगों को उनकी सेवा से वंचित न किया जाए.


प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने बताया की जब एम्स निदेशक को माननीय कोर्ट के इन आदेशों का हवाला दिया गया तो निदेशक का कहना है की मैं किसी और आदेश को नहीं मानता. मैं केवल माननीय स्वास्थ्य मंत्री के आदेश को मानता हूं और वो चाहते हैं कि 3000 से अधिक रिसर्च स्टाफ को तुरंत हटा दिया जाए.


वहीं इन कर्मचारियों ने कहा कि जब हमारी एम्स मे भर्ती हुई थी. उस समय सारी प्रक्रियाओं को पास कर लेने के बाद हमें चुना गया. हम आज कोई 10 साल से तो कोई 15 साल से यहां सेवा देता आ रहा है और आज अचानक कहा जा रहा है कि आप यहां के लायक नहीं हैं. हमें कैंसर समझा जा रहा है. हमारी मांग प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और एम्स के डायरेक्टर से है कि हमें हमारे नौकरी से न निकाला जाए. हमारी रोजी रोटी को न छीना जाए.


Input: Mukesh Singh