Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने लोकनायक अस्पताल के नए ब्लॉक के निर्माण में 670 करोड़ रुपये की लागत वृद्धि के बाद सीवीसी जांच के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. वीके सक्सेना ने जांच के लिए एक समिति भी गठित की है, जिनके कारण लागत में 670 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि समिति दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में चल रही इन परियोजनाओं की भी जांच करेगी.


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उपराज्यपाल का काम दिनरात जांच का आदेश देना है
उपराज्यपाल के निर्देश के बारे में पूछे जाने पर सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'उपराज्यपाल का काम दिन-रात जांच का आदेश देना है. उन्होंने दिल्ली के लिए और क्या काम किया है? सतर्कता विभाग उनके अधीन है. वह ऐसा इसलिए करते हैं ताकि मीडिया सवाल पूछे. उपराज्यपाल ने एक आधिकारिक नोट में कहा कि लोक नायक अस्पताल में एक अतिरिक्त ब्लॉक के निर्माण के लिए 465 करोड़ रुपये की निविदा बढ़कर 1,135 करोड़ रुपये हो गई है, जिससे दिल्ली सरकार पर लगभग 670 करोड़ रुपये की अनधिकृत देनदारी पैदा हो गई है.


लागत में 243 प्रतिशत की वृद्धि
अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल ने सतर्कता निदेशालय से कहा है कि वह केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से मुख्य तकनीकी परीक्षकों की एक विशेष टीम गठित करने का अनुरोध करें, जो मामले में विस्तृत तकनीकी जांच करे. उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा, 'यह औचित्य से परे है कि इतनी बड़ी लागत में वृद्धि विभाग के इंजीनियरों के स्तर पर ही प्रभावित की गई, जबकि इसे वित्त विभाग और कैबिनेट के पास जाना चाहिए था.' बता दें कि लोक नायक अस्पताल में नए ब्लॉक पर काम 4 नवंबर, 2020 को शुरू होने वाला था और 30 महीनों के भीतर पूरा हो जाना था. हालांकि, साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी काम की वर्तमान प्रगति केवल 64 प्रतिशत है, जबकि लागत में 243 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.


पीडब्लूडी को को सौंपा था परियोजना
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने परियोजना को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को सौंपा था. हालांकि, मूल रूप से 465 करोड़ रुपये के लिए निविदा दी गई थी, जिसे 1135 करोड़ रुपये के काम के दायरे में फिर से अनुमान और विस्तार के रूप में देखा गया था.  अधिकारियों ने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने लागत बढ़ने के लिए काम का दायरा बढ़ने को जिम्मेदार ठहराया है. एलजी ने 22 जून 2023 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें अस्पताल परियोजनाओं में "अत्यधिक देरी" की रिपोर्ट को चिह्नित किया गया था, जिसमें हजारों रुपये की लागत से अधिक राशि पर प्रकाश डाला गया था.


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PWD और निजी कंपनी
उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी और काम में लगी निजी निर्माण कंपनी के बीच विवाद देखा. विवाद के निपटारे के लिए गठित मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने ठेकेदार के पक्ष में 82.45 करोड़ रुपये का फैसला सुनाया. हालांकि, विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने फैसले को चुनौती नहीं देने का फैसला किया, जिससे वित्तीय बोझ और बढ़ गया. पीठ ने कहा, 'प्रक्रियागत उल्लंघनों और अनधिकृत जवाबदेही के कारण सरकारी खजाने और जनता के धन को हुआ नुकसान एक बहुत ही गंभीर मामला है, जिसकी तत्काल और विस्तृत जांच की आवश्यकता है. एलजी ने मामले की विस्तृत जांच के लिए चार सदस्यीय समिति के गठन का भी निर्देश दिया, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी के प्रसाद करेंगे.