Delhi: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एक टीम ने धोखेबाज प्रेम वाधवा को ईस्ट ऑफ कैलाश, नई दिल्ली से गिरफ्तार किया है. आरोपी  2020 में मामला दर्ज होने के बाद से वह अपनी गिरफ्तारी से बच रहा था. आरोपी एक चिटफंड कंपनी चलाता था और लगभग 100 पीड़ितों के 02 करोड़ रुपये लेकर भाग गया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चिट फंड चला रहा था आरोपी 
प्रेम वाधवा दिल्ली एक चिट फंड चला रहा था और अपने साले हरीश के माध्यम से श्रीनिवास पुरी, नई दिल्ली में एक कार्यालय में काम कर रहा था. उसका काम करने का तरीका इलाके के निवासियों को अपने चिट फंड में निवेश करने के लिए प्रेरित करना था. तो वहीं उसका साला हरीश पिछले कई सालों से नकद जमा करता था. पैसे बचाने के लिए लोग अपनी बचत का कुछ हिस्सा उसके चिट फंड में निवेश करते थे.


50 व्यक्तियों की शिकायत पर मामला दर्ज
मार्च 2020 में अचानक प्रेम वाधवा इलाके से गायब हो गया. जिसके बाद लगभग 50 व्यक्तियों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया. मामला दर्ज होने के बाद से, वर्तमान आरोपी अपना ठिकाना बदलकर अपनी गिरफ्तारी से बच रहा था. आरोपी चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल से अपना ठिकाना बदल रहा था .वर्तमान में वह पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में रह रहा था. पुलिस ने आरोपी के ऊपर 25000/- रुपये का इनाम भी रखा था.


इस पर कार्रवाई करते हुए आरोपी व्यक्ति को पकड़ने के लिए, एसीपी नरेंद्र सिंह की करीबी निगरानी में इंस्पेक्टर संदीप स्वामी के नेतृत्व में एसआई रवि सैनी, एसआई प्रदीप दहिया, एसआई सुखविंदर, एएसआई सुनील, एएसआई अनिल, एचसी राज आर्यन, एचसी परवीन बाल्यान, एचसी सुमित, एचसी परमजीत और एचसी परविंदर मलिक की एक टीम का गठन किया गया था.


ये भी पढ़ें: जून के महीने में लगातार 40 डिग्री के ऊपर बना हुआ है अधिकतम पारा, लोगों को हो रही परेशानी


इसके बाद एक टीम पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के लिए रवाना हुई और बस स्टैंड, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के पास सूचना विकसित कर रही थी, जहां एसआई रवि सैनी को एक गुप्त सूचना मिली कि प्रेम वाधवा नाम का एक व्यक्ति जो फरार चल रहा है. वह गांव बंदला, पालमपुर एचपी से पालमपुर की ओर आएगा. सूचना के स्थान पर जाल बिछाया गया और आरोपी प्रेम वाधवा को पकड़ लिया गया.


2007 में शुरू किया था चिटफंड का कारोबार
आरोपी प्रेम वाधवा जिसकी उम्र 64 साल है वह 11वीं तक पढ़ा है.  उसके पिता की दिल्ली के श्रीनिवास पुरी में दूध की दुकान थी और वह भी अपने पिता की दुकान में शामिल हो गया. इलाके में उसकी जान-पहचान हो गई. 2007 में उसने इलाके में चिटफंड का कारोबार शुरू किया और यह कारोबार 2020 तक चला. इस दौरान वह आलीशान जीवन शैली जीने लगा और कर्ज में डूब गया, जिसके चलते आखिरकार वह चिटफंड का पैसा लेकर भाग गया.


Input: Raj Kumar Bhati