Delhi: AAP को SC से बड़ा झटका, LG अपनी मर्जी से MCD में कर सकते हैं एल्डरमैन की नियुक्ति
Delhi News: MCD में एलजी की ओर से 10 पार्षद मनोनीत किए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने इसे अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला की पीठ ने LG के पक्ष में फैसला सुनाया है.
Delhi News: आम आदमी पार्टी (AAP) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. SC ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि LG अपनी मर्जी से MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते है. वो MCD में पार्षद मनोनीत करने के लिए दिल्ली सरकार की सलाह-सहायता मानने के लिए बाध्य नहीं है. एलजी की ओर से 10 पार्षद मनोनीत किए जाने के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह मशविरा के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की है. ये नियुक्ति रद्द होनी चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला की पीठ ने LG के पक्ष में फैसला सुनाया है. SC ने फैसला सुनाते हुए कहा, दिल्ली के एलजी से उम्मीद की जाती है कि वह मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह की आवश्यकता नहीं है वो कानून के अनुसार काम करें.
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क्या है मामला?
दिल्ली सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए उस आदेश को रद्द करने की मांग की गई , जिसके तहत LG ने 10 लोगों को MCD के मनोनीत सदस्य के रूप में नामित किया था. याचिका में कहा गया कि उपराज्यपाल ने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर नहीं, बल्कि अपनी पहल पर दिल्ली नगर निगम में 10 मनोनीत सदस्यों को 'अवैध रूप से' नियुक्त किया है. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने कहा कि 1991 में अनुच्छेद 239AA के लागू होने के बाद यह पहली बार है कि LG ने निर्वाचित सरकार को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए ऐसा नामांकन किया है. अब इस याचिका पर SC ने LG के पक्ष में फैसला सुनाया है.
स्टैंडिंग कमेटी का गठन
MCD में पार्षद को मनोनीत करने का मुद्दा कोर्ट में होने की वजह से MCD में स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाया था. दरअसल, स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में एल्डरमैन कहलाने वाले मनोनीत पार्षद भी वोट देते हैं. अब फैसला आने के बाद स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ हो गया है. MCD में 5 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट के लिए स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी कूी जरुरत है. इसी के चलते मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 5 करोड़ से अधिक के कई प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं. जलभराव और नालों की सफाई और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार में असफल रहने पर MCD सवालों के घेरे में है. SC के फैसले के बाद इस बाद इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि अब जल्द ही स्टैंडिंग कमेटी का गठन होगा और MCD के विकास कार्यों में तेजी आएगी.