तिहाड़ जेल में चला ''ऑपेरशन चक्रव्यूह'', जानें क्या है ये बला
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तिहाड़ जेल में चला ''ऑपेरशन चक्रव्यूह'', जानें क्या है ये बला

मोबाइल और सिग्नल, बदमाश जेल के अंदर से फोन के ज़रिए ही रंगदारी मांगते है. बीते एक साल में देश में हुए सभी बड़ी खबरों के तार तिहाड़ जेल से जुड़े थे. अपनी उसी छवि को बदलने के लिए अब तिहाड़ जेल प्रशासन ने ''ऑपेरशन चक्रव्यूह'' शुरू किया है.

तिहाड़ जेल में चला ''ऑपेरशन चक्रव्यूह'', जानें क्या है ये बला

नई दिल्लीः देश की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल ने अब ''ऑपेरशन चक्रव्यूह'' शुरू कर दिया है. इसी ऑपेरशन के तहत जेल प्रशासन ने ना सिर्फ ढाई महीनों में 380 फोन जप्त किये, बल्कि 99 ऐसे डार्क स्पॉट की भी पहचान की जहां पर जैमर लगे होने के बावजूद भी मोबाइल के सिग्नल आते थे. तिहाड़ में नशे के समान को रोकने के लिए बॉडी स्कैनर लगाने की भी योजना बनाई गई है.

देश की सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली इस तिहाड़ जेल के अंदर कानून तो चलता है जेल मैनुअल से... लेकिन जेल के अंदर की उन कमियों के फायदा उठाकर जेल में बंद कैदियों ने अपना एक अलग ही कानून बना डाला है, वो कानून है वर्चस्व का... यहां वर्चस्व उसके पास है जिसके पास मोबाइल है और फोन करने के सिग्नल... क्योंकि जेल के अंदर रहते हुए जेल के बाहर जुर्म करने का सबसे बड़ा हथियार है.

जेल के अंदर से मांगी जा रही रंगदारी

मोबाइल और सिग्नल, बदमाश जेल के अंदर से फोन के ज़रिए ही रंगदारी मांगते है. बीते एक साल में देश में हुए सभी बड़ी खबरों के तार तिहाड़ जेल से जुड़े थे. अपनी उसी छवि को बदलने के लिए अब तिहाड़ जेल प्रशासन ने ''ऑपेरशन चक्रव्यूह'' शुरू किया है. तिहाड़ की 16 जेल में 19800 कैदियों को रखा गया है और इन कैदियों पर हर वक्त नज़र रखने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन पूरी कोशिश करता है.

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लेकिन, वजूद इसके तिहाड़ जेल में अक्सर मोबाइल इस्तेमाल की खबरे आती रहती है. जेल में इस्तेमाल होने वाले इन्हीं फोन कॉल को रोकने के लिए जेल प्रशासन ने जेल के अंदर के उन 99 डार्क स्पॉट की पहचान कर ली है, जिनको तलाशने के लिए कुख्यात गैंगस्टरों ने अपने एजेंट रखे हुए थे. जो जेल के अंदर मोबाइल लेकर घूमते थे और उन जगहों की पहचान करते जहां पर मोबाइल के सिग्नल आ रहे होते थे.

तिहाड़ जेल प्रशासन ने ढाई महीनों में अब तक अलग-अलग जेल से कुल 380 मोबाइल फोन जब्त किए है. जेल के अंदर मोबाइल को छुपाने के तरीके भी बेहद हैरान कर देने वाले है. कैदी जुराब में मोबाइल डाल कर पाइप में लटका देते है, तो कभी वाटर टैंक और वाटर पाइप की लाइंस में छुपा देते है. किसी की नजर ना पड़े लिहाजा कभी मोबाइल को टॉयलेट के पीछे वाले हिस्से में फिट कर देते है.

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लेकिन, रेड करने वाली टीम ने देखा कि गैंगस्टरों ने टाइल्स के अंदर जगह बनाकर मोबाइल को दीवार के अंदर छुपा रखे हैं. तो कभी कंबल के कोने में जगह बनाकर रख देते है. अब सवाल ये उठता है कि अगर मोबाइल किसी तरह जेल में आ भी जाता है तो जैमर लगे होने के बावजूद कैदी उनका इस्तेमाल कैसे कर पाते है. तो इसका जवाब भी खुद जेल के अधिकारी दे देते है.

दरअसल, जेल में बंद कैदी जेल प्रशासन से दो कदम आगे चल रहे है. उनको पता है कि तिहाड़ जेल के अंदर डार्क या ब्लैक स्पॉट किस-किस जगह है, ये लोग फोन करके रंगदारी मांगने के लिए इन्हीं जगहों का फायदा उठाते है. क्योंकि जेल स्टाफ द्वारा इस बात की जानकारी कैदियों को दी जा रही थी कि 2G के बाद 3G जिसके बाद 4G तकनीक आने की वजह से जैमर काम नहीं कर पाते.

जेल प्रशासन अब नई तकनीक लाने पर विचार कर रहा है ताकि जेल के अंदर से चल रहे वसूली के खेल को पूरी तरह खत्म किया जा सके. वहीं, जेल के अंदर से लगातार बरामद हो रही ड्रग्स पर नकेल कसने के लिए जेल प्रशासन ने बॉडी जैमर लगाने की भी सोची, लेकिन किसी कारण ये कामयाब नहीं हो सका. तिहाड़ जेल प्रशासन इस बात की भी सलाह ले रहा है कि अगर किसी कैदी के पास मोबाइल फोन मिलता है तो उसकी सजा एक साल तक और बड़ाई जा सके.

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