Delhi News: राजधानी दिल्ली में यमुना के बढ़ते जलस्तर की वजह से यमुना खादर इलाके में रहने वाले पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थी तिमारपुर सिक्नेचर ब्रिज पर बने राहत शिविर कैंप में रह रहे हैं. इनका कहना है कि पिछले 15 दिनों से ज्यादा समय से हम राहत शिविरों में रह रहे हैं, जहां दिल्ली सरकार और निजा संस्थाओं द्वारा जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं. राहत शिविर में रहने वाले ज्यादातर लोग सरकार के इंतजाम से खुश नजर आए. 


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यमुना का जलस्तर बढ़ने की वजह से 09 जुलाई को पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थियों को यमुना खादर से निकाल कर सिक्नेचर ब्रिज के पास राहत शिविर में लाया गया. दिल्ली सरकार द्वारा 10 जुलाई से पहले ही सभी संबंधित अधिकारियों को बाढ़ से प्रभावित होने वाले इलाकों में मुनादी कराने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए गए थे. मुनादी के बाद भी जो लोग यमुना खादर से बाहर नहीं निकल पाए और बाढ़ की चपेट में आ गए उन सभी का एनडीआरएफ और बोट क्लब की टीम की तरफ से रेस्क्यू किया गया. जिसके बाद सभी को दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में रखा गया. सिग्नेचर ब्रिज के पास बने इन राहत शिविरों में रहते हुए लोगों को 15 दिन से ज्यादा का समय हो गया है.  


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सरकार की व्यवस्थाओं से खुश नजर आए लोग
पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के प्रधान ने बताया कि दिल्ली सरकार के राहत शिविर कैंप में दिल्ली सरकार, निजी संस्थाएं व अन्य तमाम लोग हर तरीके से हमारी मदद कर रहे हैं. लोगों को गर्मी से बचाने के लिए अस्थाई बिजली की भी व्यवस्था की गई है. सभी राहत शिविर कैंपों में खाने-पीने के साथ-साथ रहने, सोने, उठने-बैठने व बिजली पानी के तमाम पुख्ता इंतजाम करवाए हैं. यहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं है.


रोड में बने राहत शिविर बने परेशानी
दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में सभी इंतजाम होने के बाद भी यहां रहने वाले लोगों को उनके बच्चों की चिंता सता रही है. दरअसल, सड़क में दिनभर वाहनों की आवाजाही होती है. यहां रहने वाले लोगों के छोटे बच्चे आस-पास खेलते रहते हैं, ऐसे में वो किसी वाहन की चपेट में आ सकते हैं. 


घर जानें की उम्मीद
बाढ़ में बेघर हुए लोगों को भले ही सरकार की तरफ से सभी सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन ये हर वक्त यमुना के सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं. जैसे ही यमुना का जलस्तर कम होगा, ये वापस अपने घरों की ओर लौट जाएंगे.


इनपुट- नसीम अहमद