Delhi News: बच्चों के शव को दफनाने के बाद खा जाते हैं जानवर, क्रब की देखरेख के लिए उठी मांग
दिल्ली के तिगीपुर गांव यमुना किनारे श्मशान घाट के पास हिन्दू धर्म की परंपरा अनुसार छोटे मासूम बच्चों की मौत के बाद दफनाने का सिलसिला लंबे अरसे से चल रहा है.
Delhi News: दिल्ली के तिगीपुर गांव यमुना किनारे श्मशान घाट के पास हिन्दू धर्म की परंपरा अनुसार छोटे मासूम बच्चों की मौत के बाद दफनाने का सिलसिला लंबे अरसे से चल रहा है. मगर मासूम बच्चों को यमुना किनारे दफनाने के बाद उन कब्रो की रेख देख न होने के चलते आवारा जानवर बच्चों के शव को कब्र से बाहर निकाल कर खा जाते हैं. ऐसा सिर्फ यहीं नहीं बल्कि यमुना घाट ही नहीं बल्कि हर गंगा घाट हो पर होता है. इसको लेकर अब लोग अपनी आवाज उठा रहे हैं.
मृत्यु के बाद में शव का अंतिम संस्कार करना लाजमी है. मुस्लिम धर्म में बड़े बुजुर्ग हो या बच्चा हो उन्हें कब्रिस्तान में रीति रिवाज के अनुसार दफनाया जाता है. मगर हिंदू धर्म की बात करें तो यहां मृत्यु के बाद 12 साल से ऊपर की युवा और बुजुर्गों का अंतिम संस्कार शमशान घाट में किया जाता है. मगर कभी आपने सोचा है कि हिंदू धर्म में मरने वाले छोटे मासूम बच्चों का क्या होता है. उन्हें कहा दफनाया जाता है. यह थोड़ा अटपटी जरूर है, मगर इसका मकसद किसी की आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि मृत्यु के बाद मासूम बच्चों के शव के साथ हो रहे दुराचार पर रोक लगाना है.
आपको बता दें हिंदू धर्म के मुताबिक छोटे बच्चों को 3 से 4 फुट का गड्डा खोदकर दफन कर दिया जाता है. ऐसा ज्यादातर यमुना, गंगा वह अन्य नदियों के किनारे ज्यादातर देखने को मिलता है. कई बार कुछ लोग शमशान घाट के पास भी बच्चों को दफनाकर अंतिम संस्कार हिंदू परंपरा के अनुसार कर देते हैं, लेकिन अब छोटे मासूम बच्चों को दफनाने का सिलसिला चिंता का विषय बनता हुआ नजर आ रहा है.
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दरअसल कई जगह हो पर पहले ऐसी तस्वीरें देखने को मिली है कि जब छोटे मासूम बच्चे की मौत हो जाती है तो उसके शव को गड्डा खोदकर 3 फुट की गहराई पर दफना दिया जाता है. मगर कुछ ही देर के बाद जब वहां कोई भी शख्स मौजूद नहीं होता तो आवारा कुत्ते व जंगली जानवर शव को बाहर निकालकर नोच-नोचकर खा जाते हैं. हालांकि दिल्ली के तिगीपुर यमुना घाट किनारे एक श्मशान घाट जरूर बना हुआ है. मगर यहां अब छोटे मासूम बच्चों को दफनाने के लिए शमशान घाट में रहने वाले लोगों ने शख्त मनाकर दिया गया हैं.
कुछ प्रवासी मजदूर अब दिल्ली देहात के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. जिन्हें इलाके की सही तरीके से जानकारी नहीं है. फिर भी कुछ लोग बच्चों की मौत के बाद छोटे बच्चों को यमुना किनारे इधर-उधर दफना देता है. इसको लेकर स्थानीय लोगों की मांग है कि दिल्ली सरकार हो या केंद्र सरकार इस समस्या का समाधान करें और कहीं भी एक ऐसी स्थाई जगह बनाएं जहां पर मरने वाले मासूम बच्चों के शव को हिंदू परंपरा के अनुसार दफनाया जा सके. साथ ही निग्रहनी के लिए एक केयरटेकर रखा जाए. अगर ऐसा नहीं होता तो उस स्थान में चार बाउंड्री बनाकर गेट लगाया जाए, जिससे कि मरने के बाद मासूम बच्चों के शव का दुराचार न हो सके.
Input: नसीम अहमद