Ghaziabad News: अस्पताल `बीमार`, सुविधाएं बदहाल, डेंगू के बढ़ते कहर के बीच कैसे मिलेगा उपचार
Dengue Cases in Ghaziabad: गाजियाबाद में डेंगू के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच डॉक्टरों की कमी और बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अस्पताल में भर्ती मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
Dengue Cases in Ghaziabad: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद में पिछले 1 महीने में डेंगू के 264 मरीज सामने आए हैं, वहीं पूरे सीजन में डेंगू के 912 मरीज सामने आए हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. अस्पताल में भर्ती मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
गाजियाबाद में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जानने के लिए हम जिला चिकित्सालय संजय नगर पहुंचे. यहां भर्ती मरीज ने बताया कि यहां एडमिट होने के बाद दिए गए प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर या नर्स उन्हें देखने नहीं आए हैं, न ही उन्हें किसी प्रकार का कोई ट्रीटमेंट दिया गया. यही नहीं डॉक्टर ने अब तक उन्हें बीमारी का कारण भी नहीं बताया है. वहीं अस्पताल में 2-3 दिन से ज्यादा समय से भर्ती मरीजों ने बताया कि उन्हें दवाई तो उपलब्ध करा दी गई हैं पर डॉक्टर देखने नहीं आ रहे.
गाजियाबाद में लगातार डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं, यही नहीं डेंगू की वजह से मरीजों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं. गाजियाबाद में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं एक सरकारी चिकित्सक की डेंगू के स्ट्रेन 2 से मौत हो गई. ऐसे में सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की हालत स्वास्थ्य सेवाओं पर सवालिया निशान लगा रही है.
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दरअसल, डेंगू के खतरनाक वेरिएंट स्ट्रेन-2 में एक बार बुखार उतर जाने के बाद 2-3 दिन बाद फिर से लक्षण उभरते हैं. ऐसे में अतिरिक्त सावधानी रखने की जरूरत होती है. स्ट्रेन-2 के मरीज में पेशाब कम आना, कमजोरी, बुखार, शरीर में दर्द जैसे लक्षण दोबारा उभर सकते हैं. कई बार इन्हें नजरअंदाज करना जानलेवा भी हो सकता है.
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी पर नोडल अधिकारी डॉक्टर आरके गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर अतिरिक्त घंटे काम करके मरीजों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं, किसी परेशानी को नहीं हो रही. बल्कि इससे डॉक्टर पर चिकित्सा सेवाओं का बोझ और बढ़ रहा है. डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए लगातार इंटरव्यू लिए जा रहे हैं. 76 हेल्थ वेलनेस सेंटर पर 60 डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग को मिल चुके हैं, 16 की कमी अभी भी चल रही है. अर्बन पीएससी पर 53 में से 31 जगह डॉक्टर तैनात हैं. इंटरव्यू के द्वारा 8 नए डॉक्टरों की तैनाती की गई है और नए इंटरव्यू अभी भी किया जा रहे हैं.
डॉक्टर के सेवा छोड़ने के सवाल पर नोडल अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर अपनी उच्च शिक्षा या पारिवारिक कारणों के चलते अपना काम छोड़ते हैं, इसमें निजी कंपनियों द्वारा दिए जा रहे आकर्षक पैकेज जैसा कोई कारण नहीं है. ज्यादातर संविदा पर काम कर रहे डॉक्टर उच्च शिक्षा के लिए अपनी सेवाएं छोड़ देते हैं या फिर किसी किसी परिस्थिति में पारिवारिक कारण या घर के नजदीक सेवा देने का अवसर मिलने पर वो सेवाएं छोड़ते हैं.
नोडल अधिकारी द्वारा भले ही अस्पताल में सभी सुविधाएं देने की बात कही जा रही हो, लेकिन मरीजों को समय पर इलाज न मिलना अस्पताल की लचर व्यवस्था की पोल खोल रहा है. अस्पताल में मौजूद मरीज खुद स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का खामियाजा उठा रहे हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आता है या फिर मरीजों को यूं ही परेशान होना पड़ता है.
Input- Piyush Gaur