Sankashti Chaturthi 2024: सर्वार्थसिद्धि योग में रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें सही डेट
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Sankashti Chaturthi 2024: सर्वार्थसिद्धि योग में रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें सही डेट

Sankashti Chaturthi 2024 Date: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश के साथ माता पार्वती के पूजन का विधान है. इस साल 28 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा.

Sankashti Chaturthi 2024: सर्वार्थसिद्धि योग में रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें सही डेट

Sankashti Chaturthi 2024 Date: हिंदू कैलेंडर के आखिरी महीने फाल्गुन मास की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, महाशिवरात्रि, होली सहित कई बड़े व्रत-त्योहार हैं. फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है. इसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर गणपति बप्पा की अराधना करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है. 

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस बार  द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी को रखा जाएगा. इस दिन बुधवार होने से इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा. इस दिन भगवान गणेश के साथ माता पार्वती के पूजन का विधान है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के जनेऊ पहने हुए रूप की पूजा की जाती है. 

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क्यों कहते हैं द्विजप्रिय?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती भगवान भोलेनाथ से किसी बात पर रूठ गईं थीं, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें मनाने के लिए इस व्रत को किया. ये दिन गणेश भगवान और माता पार्वती दोनों को अत्याधिक प्रिय है, जिसकी वजह से इसे द्विजप्रिय चतुर्थी कहते हैं.

द्विजप्रिय चतुर्थी पर बन रहे ये खास योग
द्विजप्रिय चतुर्थी पर सर्वार्थसिद्धि, वृद्धि और आनंद योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा. इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश का पूजन करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आएगी. 

इस मंत्र का करें जाप
द्विजप्रिय चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को खुश करने के लिए 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें.

चंद्रदेव को अर्घ्य देने का महत्व
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश के पूजन के साथ ही चंद्रदेव को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन शाम के चंद्रोदय के बाद एक लोटे में शुद्ध जल लें, उसमें दूध, अक्षत, चंदन, फूल, दूर्वा डालकर चंद्रदेव को समर्पित करें. ऐसा करने से आपको चंद्रदेव की विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा.  

Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.

 

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