Jagannath Rath Yatra 2022 Date: हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को 'जगन्नाथ रथ यात्रा' निकाली जाती है, इसमें भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 3 सुंदर रथों में सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं.
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Jagannath Rath Yatra 2022 Date: हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को'जगन्नाथ रथ यात्रा' निकाली जाती है, इस साल यह यात्रा आज यानी 20 जून को निकाली जाएगी. इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 3 सुंदर रथों में सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं. भगवान 7 दिनों तक गुंडिचा मंदिर में ही विश्राम करते हैं. इस बार भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथयात्रा निकाली जा रही है.
जगन्नाथ रथ यात्रा 2023 शेड्यूल
20 जून, 2023- जगन्नाथ रथ यात्रा प्रारंभ, भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ गुंडिचा मौसी के घर जाते हैं और 7 दिनों तक यहीं रुकते हैं.
27 जून 2023- 7 दिनों बाद भगवान जगन्नाथ संध्या दर्शन देंगे. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान के दर्शन करने से 10 साल तक श्रीहरि की पूजा करने के बराबर पुण्य मिलता है.
28 जून 2023- बहुदा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की घर वापसी होगी.
29 जून 2023- सुनाबेसा अर्थात जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान अपने भाई-बहन के साथ फिर शाही रूप लेते हैं.
30 जून, 2023- आधर पना, आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर भगवान के दिव्य रथों पर एक विशेष पेय पदार्थ चढ़ाया जाता है, जिसे पना कहते हैं. ये दूध, पनीर, चीनी और मेवा से बनता है.
1 जुलाई, 2023- रथ यात्रा के आखिरी दिन नीलाद्री बीजे अनुष्ठान होता है.
रथ यात्रा निकालने की वजह?
पद्म पुराण से मिली जानकारी के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ और बलभद्र, सुभद्रा को रथ में लेकर नगर यात्रा पर गए थे. इस दौरान वो 7 दिनों तक अपनी मौसी गुंडिचा के यहां भी रुके थे. तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा की शुरुआत हुई. दूर-दूर से लोग इस यात्रा में शामिल होने के लिए आते हैं.
कैसे तैयार होता है जगन्नाथ यात्रा का रथ?
रथ को तैयार करने के लिए सबसे पहले भगवान जगन्नाथ की अनुमति लेनी होती है. इसके लिए सबसे पहले अक्षय तृतीया के दिन वस्त्र, माला और सोने की कुल्हाड़ी को भगवान को स्पर्श कराया जाता है. इसके बाद महाराणा कम्युनिटी के लोग रथ पर सोने की कुल्हाड़ी से प्रतीकात्मक प्रहार करते हैं और फिर रथ बनाने का काम शुरू हो जाता है. रथ बनाने में लगभग 2 महीने का वक्त लगता है, इस दौरान रथ बनाने वाले लोग सात्विक तरीके से रहते हैं और दिन में एक बार ही भोजन करते हैं.