दीक्षा पांडेय/नई दिल्लीः दिल्ली में तेजी से बढ़ती पब्लिक ट्रांसपोर्ट की डिमांड को देखते हुए डीटीसी यानी दिल्ली परिवहन निगम ने एक बड़ा फैसला लिया है. डीटीसी अधिकारियों के मुताबिक मांग में तेजी देखते हुए स्कूलों के नए शैक्षणिक सत्र 2022-23 से अब दिल्ली के स्कूलों को पिकअप और ड्रॉप के लिए बसें मुहैया कराना बंद कर दिया है.


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ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक यात्रियों के लिए बसों की बढ़ती जरूरत को नज़र में रखते हुए यह तय किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक सभी स्कूलों को इस लिहाज से पहले ही जानकारी दी जा चुकी है. विभाग के मुताबिक स्कूलों के लिए डीटीसी अपनी 350 से ज्यादा बसें स्कूलों को अब तक उपलब्ध करा रही थी.


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मगर अब केवल दिव्यांग बच्चों की ट्रांसपोर्ट सुविधा को देखते हुए महज कुछ स्कूलों को केवल 8 से 10 बसें मुहैया कराई गई हैं. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब दिल्ली सरकार, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए पर्याप्त बसों की उपलब्धता को लेकर ध्यान दे रही है. बता दें कि डीटीसी के इस फैसले से स्कूल प्रशासन के साथ साथ पेरेंट्स में नाराजगी है.


क्योंकि बच्चों को होने वाली परेशानी के मद्देनजर दोनों इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. स्कूल के प्रिंसिपल के मुताबिक तमाम स्कूल छात्रों के पिक अप और ड्रॉप के लिए इन्हीं बसों पर निर्भर हैं. क्योंकि नई बस खरीदने के लिए स्कूलों के पास पैसे नहीं हैं. दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की प्रेसिडेंट के मुताबिक दिल्ली सरकार का ये फैसला बच्चों के परिवारों के हित में नहीं है.


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कोविड महामारी की वजह से अभी भी कई बच्चों का परिवार आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहा है. इस वक्त डीटीसी का ये फैसला उन परिवारों का आर्थिक बोझ बढ़ाने वाला है. आपको बता दें दिल्ली में मौजूदा वक्त में में 7200 से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट बसें चल रही हैं, जिनमें डीटीसी की तरफ से चलाई जा रहीं 3912 और DIMTS द्वारा चलाई जा रही 3293 क्लस्टर बसें शामिल हैं.


आंकलन के मुताबिक दिल्ली शहर की पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 11000 बसों की आवश्यकता है. डीटीसी अधिकारियों के मुताबिक इन स्कूलों को बीते साल सितंबर और इस साल जनवरी में भी बसों की किल्लत की सूचना दी गई थी और उनसे इसका विकल्प जल्द से जल्द निकालने की अपील की थी.


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आपको बता दें कि अगर पेरेंट्स और स्कूलों ने डीटीसी के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे दिल्ली हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी. मगर सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जरूरतों को पूरा करने की दलील देते हुए स्कूलों को डीटीसी बसें उपलब्ध कराने में अपनी असमर्थता जताई थी.


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