Dusshera: नवरात्र के नौ दिन दुर्गा मां की पूजा की जाती है. नवरात्र के खत्म होने के बाद यानी 10वें दिन दशहरे का त्योहार मनाया जाता है. दशहरा हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. दशहरे को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है. हिंदु धर्म के मुताबिक इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को उसके चंगुल से छुड़ाया था.


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दशहरा शुभ मुहूर्त 
-दशमी तिथि 4 अक्टूबर दोपहर 2.20 से शुरू होकर 5 अक्टूबर दिन 12 बजे तक रहेगी.
-श्रवण नक्षत्र 4 अक्टूबर को रात 11.33 से 5 अक्टूबर को रात 9.15 कर रहेगा
-उदयातिथि के मुताबिक दशहरा 5 अक्टबर को ही मनाया जाएगा. 


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दशहरा पूजा विधि
-इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. इसके बाद गेंहू या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाए.
-गाय के गोबर को नौ कंडे बना ले. इन कंडों पर जौ और दही लगाएं. 
-इसके बाद गोबर की दो कटोरियां बनाएं. गोबर की एक कटोरी में सिक्के डालें और दूसरी में कुमकुम, चावल, फल-फूल और जौ डाल दें. 
-गेंहू या चूने से बनी दशहरे की प्रतिमा पर केले, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल चढ़ाएं. अब प्रतिमा से सामने धूर या दिया जलाएं. 


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-इस दिन आप अपने बहीखाते की भी पूजा कर सकते हैं. 
-फिर रावण दहन के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें. 


क्यों मनाया जाता है दशहरा? 
माता सीता का रावण ने अपहरण कर लिया था. जिसके बाद भगवान राम और रावण के बीच दस दिन तक युद्ध चला. युद्ध के दसवे दिन श्री राम ने माता दुर्गा से प्राप्त दिव्य शस्त्र को इस्तेमाल करके घमंडी रावण का वध कर दिया था. रावण की मुत्यु को सच पर बुराई की जीत और न्याय की जीत के उत्सव के रूप में दशहरे को मनाया जाता है. इस दशमी पर भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी इसलिए इसको विजयादशमी भी कहते हैं.