Earth Hour: BSES ने दिल्लीवासियों से क्यों की शनिवार को अपने घरों की लाइट्स ऑफ करने की अपील? जानें वजह
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Earth Hour: BSES ने दिल्लीवासियों से क्यों की शनिवार को अपने घरों की लाइट्स ऑफ करने की अपील? जानें वजह

Earth Hour: जलवायु परिवर्तन ने धरती के लिए संकट को और बढ़ा दिया है. अचानक से बदलने वाला मौसम, अप्रत्याशित तापमान, आदि इसी संकट की ओर इशारा करते हैं. ऐसे में, जरूरी है कि हम अपव्ययी आदतों को छोड़कर ऐसी जीवनशैली अपनाएं, जो धरती के अनुकूल हो. अर्थ आवर इसी दिशा में एक कदम है.

Earth Hour: BSES ने दिल्लीवासियों से क्यों की शनिवार को अपने घरों की लाइट्स ऑफ करने की अपील? जानें वजह

नई दिल्लीः BSES ने अपने 48 लाख से अधिक ग्राहकों और 2 करोड़ उपभोक्ताओं से अपील है कि वे इस शनिवार दुनियाभर में मनाए जा रहे अर्थ आवर (Earth Hour) में शामिल हों और रात 8.30 से 9.30 बजे के बीच स्वेच्छा से अपने घरों व कार्यस्थलों की गैरजरूरी लाइट्स व बिजली उपकरणों को बंद रखें. BSES खुद भी अपने 400 से अधिक ऑफिसों में अर्थ आवर के दौरान गैर जरूरी लाइट्स को ऑफ रखेगी.

अर्थ आवर, WWF (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर/वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड) का सालाना कार्यक्रम है, जिसके तहत दुनियाभर के लोगों से अपील की जाती है कि वे जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, अपने घरों और कार्यस्थलों पर गैरजरूरी लाइट्स और बिजली चालित उपकरणों को तय समय के दौरान बंद रखें. पिछले वर्षों में अर्थ आवर के दौरान दिल्लीवालों ने बड़े पैमाने पर बिजली बचाई.

इसी के साथ 2022 में अर्थ आवर के दौरान दिल्ली के लोगों ने 171 मेगावॉट बिजली बचाई, 2021 में 334 मेगावॉट, 2020 में 79 मेगावॉट, 2019 में 279 मेगावॉट, 2018 में 305 मेगावॉट, 2017 में 290 मेगावॉट, 2016 में 230 मेगावॉट, 2015 में 200 मेगावॉट,  2014 में 250 मेगावॉट, 2013 में 250 मेगावॉट और 2012 में 240 मेगावॉट मेगावॉट बिजली बचाई.

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BSES प्रवक्ता के मुताबिक, BSES ने अपने क्षेत्र के 2 करोड़ निवासियों से अपील की है कि वे इस शनिवार को रात 8:30 बजे से 9:30 बजे के बीच स्वेच्छा से अपने घरों की बिजली को स्विच ऑफ करें और इनसानों के रहने लायक इस एकमात्र धरती में निवेश करें. धरती मां और आने वाली पीढ़ियों के लिए सही कदम उठाएं. लोग, प्राकृतिक दुनिया की रक्षा कर बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं.

टिकाऊ विकास को प्रोत्साहन देने के लिए BSES पहले से ही अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है. इस कड़ी में BSES इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए लिए चार्जिंग स्टेशन लगाने के साथ-साथ बैटरी स्टोरेज, डिमांड साइड मेनेजमेंट आदि की दिशा में भी काम कर रही है. ऊर्जा संरक्षण को व्यवहर के स्तर पर अपनाने की दिशा में भी कई सारी पहल की गई हैं.

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BSES अपने उपभोक्ताओं से यह भी अनुरोध करती है कि समावेशी विकास के लिए रूफटॉप सौर ऊर्जा को अपनाएं. पर्यावरण के प्रति जागरूक कॉरपोरेट नागरिक के नाते BSES ने अपने उपभोक्ताओं से पेपर बिल्स की जगह, ई-बिल्स अपनाने की अपील भी की है. भारत में WWF के प्रवक्ता का कहना है कि अर्थ आवर 2023 लोगों, समुदायों और व्यवसायों से अनुरोध करती है कि धरती के लिए इस सबसे बड़े मुहिम में शामिल हों और धरती मां के लिए कुछ सार्थक करते हुए एक घंटे के लिए बिजली को स्विच ऑफ रखें.

BSES ने आगे कहा कि कोई भी और कहीं से भी इस मुहिम में शामिल हो सकता है. वैसे तो अर्थ आवर में देश और दुनियाभर के घरों में गैर जरूरी लाइट्स को स्विच ऑफ किया जाएगा, लेकिन हम लोगों से यह भी आग्रह करते हैं कि वे दूसरे तरीकों से भी धरती को बचाने के प्रयास में शामिल हों. अपने रोज के शेड्यूल में से 60 मिनट निकालकर अपनी पसंद का कोई ऐसा काम करें, जिससे धरती के बचाने में मदद मिल सके.

WWF के प्रवक्ता ने कहा कि वे BSES के प्रयासों की सरहना करते हैं, जो पिछले कई सालों से अर्थ आवर के मुहिम को समर्थन दे रही है. लगातार कई वर्षों से BSES लोगों के बीच अर्थ आवर का संदेश फैला रही है और उनसे एक टिकाऊ जीवनशैली अपनाने तथा धरती के लिए कुछ बेहतर करने का अनुरोध कर रही है. दरअसल, चौंकाने वाले जलवायु परिवर्तन ने धरती मां के लिए संकट को और बढ़ा दिया है.

अचानक से बदलने वाला मौसम, अप्रत्याशित तापमान, आदि इसी संकट की ओर इशारा करते हैं. ऐसे में, जरूरी है कि हम अपव्ययी आदतों को छोड़कर ऐसी जीवनशैली अपनाएं, जो धरती के अनुकूल हो. अर्थ आवर इसी दिशा में एक कदम है. BSES SMS, ई-मेल, वेबसाइट, मेलर, जैसे कई माध्यमों से उपभोक्ताओं के बीच अर्थ आवर के प्रति जागरूकता फैला रही है.

(इनपुटः तरुण कुमार)