Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी का पावन दिन बस अब आने ही वाला है. देशभर में इस शुभ अवसर की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं. मूर्तिकारों के पास लोग अभी से ही मूर्तियों के पास ऑर्डरआने लगे हैं. ऐसा देखा जाता है कि गणेश उत्सव महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं दिल्ली एनसीआर समेत भारत के बाकी राज्यों में भी गणेश चतुर्थी को लेकर तैयारियां तेज हैं. लेकिन गणपति विसर्जन के बाद मूर्तियों को बनने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल से प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचता है. 


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इसी को देखते हुए गणेश उत्सव को लेकर मूर्ति कलाकार भी पर्यावरण का ध्यान रख रहे हैं. लोग भी ईको फ्रेंडली गणपति बप्पा की मूर्ति के ऑर्डर दे रहे हैं. दिल्ली के गीता कॉलोनी में रहने वाले मूर्तिकार का कहना है कि वह कई साल से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. वह पुरानी मिट्टी और बांस का इस्तेमाल करके मूर्तियों को बनाते हैं. 


मिट्टी से बनी मूर्ति के फायदे
पर्यावरण को बचाने के लिए मट्टी से बनी मूर्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए. क्योंकि ये मूर्तियां कम समय में पानी में घुल जाती हैं. पीओपी  से बनी मूर्तियां पानी को दूषित करती है और साथ ही पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुंचाती है. बता दें कि कोरोना काल के समय मूर्तियों की बिक्री कम हुई थी. कोरोना काल के बाद  इस साल लोग पर्व को लेकर काफी उत्साहित है. इसके चलते मूर्तियों की मांग बढ़ती जा रही है. 


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दिल्ली एनसीआर के इन क्षेत्रों में होगी विशेष पूजा 
गाजियाबाद के इंदिरापुरम वैशाली, वसुंधरा, साहिबाबाद, तुलसी निकेतन कालोनी, राजेंद्र नगर, लाजपत नगर, शालीमार गार्डन, शालीमार गार्डन एक्सटेंशन-1 और 2 में विशेष पूजा अर्चना होगी. वहीं, गाजियाबाद नगर निगम की ओर से मूर्तियों के विसर्जन के लिए अलग से घाट तैयार किया जाएगा. गणेश उत्सव से पहले इसमें पर्याप्त पानी छोड़ा जाएगा और साफ-सफाई की उचित व्यवस्था की जाएगी. 


पीओपी से बनी मूर्तियां हुई बैन 
आपको ये भी बता दें कि गणेश उत्सव को लेकर प्रशासन द्वारा निर्देश भी जारी किए गए है. गणेश उत्सव के दौरान पर्यावरण को देखते गणपति की मूर्ति को तय की गई जगहों पर ही विसर्जित किया जाएगा. वहीं प्रदूषण को रोकने के लिए पीओपी से बनी भगवान गणेश की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जल प्रदूषण को रोकने के लिए यह अहम कदम उठाया गया है. पानी में विसर्जन की वजह से बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण होता है. मूर्तिकारों ने मूर्ति बनाने के लिए पीओपी, मिट्टी, घास और विभिन्न रंगों में पासा, पेंट और खतरनाक केमिकल आदि का इस्तेमाल करते हैं. केमिकल से बने रंगों और पेंट में बहुत तरह  की खतरनाक धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है. जब ऐसी केमिकल से बनी मूर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है, तो ये पदार्थ पानी में घुल जाते हैं और पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं. क्योंकि जब केमिकल पानी में घुलते हैं तो पानी को जहरीला बनाते हैं, जिससे पानी में रहने वाले जीव मर जाते हैं.