गाजियाबाद में कुत्ते के काटने के बढ़ते मामलों के बाद नगर निगम हरकत में आ गया है. नगर निगम ने शहरवासियों को इस परेशानियों से बचाने के लिए सख्त कदम उठाया है. निगम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शहर लोगों के पास कुल 20 हजार से ज्यादा खतरनाक कुत्तों की ब्रीड है.
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गाजियाबाद: यूपी के गाजियाबाद शहर में कुत्ते के काटने के बढ़ते मामले में अब नगर निगम द्वारा संज्ञान लेकर शहर वासियों को इस परेशानी से मुक्त करने की कवायद पर अब नगर निगम द्वारा अमलीजामा पहनाया जा रहा है. शहर के लोग खतरनाक मानी जाने वाली रॉटविलर (rottweiler), साइबेरियन हस्की (siberian husky), जर्मन शेफर्ड (german shepherd) जैसी नस्लों के कुत्तों को पालना ज्यादा पसंद करते हैं. इसका पता नगर निगम में कराए गए कुत्तों के पंजीकरण से चला है.
शहर में कुल 20 हजार से ज्यादा कुत्ते हैं. इनमें से अब तक कुल 2600 का पंजीकरण हुआ है. इनमें 1456 (56 फीसदी) खतरनाक नस्ल के हैं. शहर में कुल 70 नस्लों के कुत्ते पाले जा रहे हैं, जिस पिटबुल नस्ल के कुत्ते ने संजय नगर में पार्क में दस साल के कुश त्यागी पर हमला किया, उसके बाद सिर्फ 22 कुत्तों का ही पंजीकरण कराया गया है. इस हमले के बाद ही निगम ने सख्ती दिखाई जिस पर सात दिन में 600 कुत्तों का पंजीकरण हुआ है.
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पंजीकृत कुत्तों में पिटबुल (Pitt Bull), रॉट विलर, बॉक्सर (boxer), जर्मन शेफर्ड, ग्रेटडेन (Gretden), बुल मेस्टिफ (bull mastiff) जैसी विदेशी और गुस्सैल नस्ल के कुत्ते शामिल हैं. हालांकि, पहले नंबर पर शांत मानी जाने वाली नस्ल लेब्राडोर (labrador) है जिसके 793 कुत्ते पंजीकृत हैं.
इसी तरह की अन्य नस्ल पॉमेरियन (pomeranian), पग (Pug), पूडल (poodle), ल्हासा (Lhasa) के कुत्ते कम संख्या में हैं. पंजीकृत कुत्तों में बुल टेरियर नस्ल के 13, बुलडॉग के नौ, बुल मेस्टिफ के 10, डॉलमिशन (Dalmatian) के 13, ग्रेटडेन के 10, मेस्टिफ के 10, सेंट बर्नाड 16, तिब्बतियन मेस्टिफ (Tibetan Mastiff) का एक और स्टेफोर्डशेर बुल टेरियर (Staffordshire Bull Terrier) के आठ हैं.
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नस्ल पंजीकरण
लेब्राडोर (labrador) - 793
रॉटविलर (rottweiler)- 114
जर्मन शेफर्ड (german shepherd)- 425
अमेरिकन टेरियर (american terrier)- 48
साइबेरियन हस्की (siberian husky)- 40
पिटबुल (Pitt Bull)- 22
डॉबरमैन (doberman)- 22
बॉक्सर (boxer)- 14
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आपको बता दें कि नगर निगम के आयुक्त महेंद्र सिंह तवर का कहना है कि शहर में आक्रामक प्रजाति के कुत्तों के पालने का चलन बढ़ा है. ऐसे कुत्तों को प्रशिक्षण दिलाया जाना अनिवार्य किए जाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि इनको नियंत्रण में रखा जा सके साथ ही गली मोहल्ले में पल रहे आवारा कुत्तों की भी गिनती और जांच की जा रही है. साथ ही ऐसे कुत्तों जिनकी काठने की शिकायत मिल रही है. उनको उपचार कराकर ही गली मोहल्ले में भेजा जा रहा है.