Gita Press Gandhi Peace Prize 2021: 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन कर चुकी गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. इसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि सरकार का यह फैसला सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
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Gita Press Gandhi Peace Prize 2021: विश्व के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जाएगा. 1923 में स्थापित होने के बाद से अब तक गीता प्रेस ने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमदभगवद गीता शामिल हैं. राजस्व सृजन के लिए इस संस्था ने कभी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल ने बीते दिन (18 जून को) सर्व सम्मति से वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस का चयन किया गया. गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है. यह पुरस्कार गीता प्रेस को अहिंसक और अन्य गांधीवादी आदर्शों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है.
संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक गांधी शांति पुरस्कार 2021, मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन शैली का प्रतीक है. पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर गीता प्रेस को बधाई दी है. पीएम ने ट्वीट किया- मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं. उसने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय कार्य किया है.
I congratulate Gita Press, Gorakhpur on being conferred the Gandhi Peace Prize 2021. They have done commendable work over the last 100 years towards furthering social and cultural transformations among the people. @GitaPress https://t.co/B9DmkE9AvS
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2023
वहीं गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा के बाद बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी हमले शुरू हो गए. जयराम रमेश ने ट्वीट किया- अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी है. इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
The Gandhi Peace Prize for 2021 has been conferred on the Gita Press at Gorakhpur which is celebrating its centenary this year. There is a very fine biography from 2015 of this organisation by Akshaya Mukul in which he unearths the stormy relations it had with the Mahatma and the… pic.twitter.com/PqoOXa90e6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 18, 2023
वहीं गीता प्रेस के गांधी शांति पुरस्कार की घोषणा की आलोचना करने को लेकर भाजपा ने सोमवार को कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी गीता प्रेस से इसलिए नफरत करती है, क्योंकि वह सनातन का संदेश फैला रही है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. इस पर भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी करार दिया और लोगों से सवाल किया कि क्या गीता प्रेस पर कांग्रेस के जुबानी हमले से कोई हैरान है? पूनावाला ने ट्वीट किया- गीता प्रेस को अगर ‘एक्सवाईजेड प्रेस’ कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते, लेकिन चूंकि यह गीता है, इसलिए कांग्रेस को समस्या है.
गीता प्रेस पर हिन्दू विरोधी कांग्रेस के हमले से कोई हैरान है क्या?
अगर इसे "xyz प्रेस" कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते लेकिन क्योंकि यह गीता है - कांग्रेस को समस्या है
कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है; जाकिर नाइक शांति का मसीहा है… https://t.co/doRvmMr9YM
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) June 19, 2023
कांग्रेस के लिए जाकिर नाइक शांति का मसीहा
पूनावाला ने कहा, कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन उसके लिए गीता प्रेस सांप्रदायिक है. जाकिर नाइक शांति का मसीहा है, लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है. कर्नाटक में कांग्रेस गोहत्या चाहती है.
शिवराज पाटिल के पुराने बयान का किया जिक्र
पूनावाला ने कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यपाल शिवराज पाटिल के उस विवादित बयान का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि लव जिहाद की बात सिर्फ इस्लाम में ही नहीं है, बल्कि ये भगवद्गीता और ईसाई धर्म में भी हैं. हालांकि कांग्रेस ने उस समय कहा था कि इस तरह के बयान अस्वीकार्य हैं. भाजपा प्रवक्ता ने कहा, कांग्रेस ने प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को नकारा और राम मंदिर का विरोध किया. कांग्रेस गीता प्रेस से इसलिए नफरत करती है, क्योंकि वह सनातन के संदेश को कोने-कोने में फैला रही है.
1995 से दिया जा रहा यह पुरस्कार
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप वर्ष 1995 में इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी. यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बिना लोगों और संगठनों को दिया जाता है. पुरस्कार में एक करोड़ रुपये की राशि, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा विशिष्ट कृति प्रदान की जाती है.
इसरो और कई नामी संगठनों को मिल चुका है
गीता प्रेस से पहले यह पुरस्कार इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र (बेंगलूरु), एकल अभियान ट्रस्ट (भारत) और सुलभ इंटरनेशनल (नई दिल्ली) जैसे संगठनों को दिया जाता है. इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जूलियस न्येरेरे, श्रीलंका के सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. एटी अरियारत्ने, जर्मनी संघीय गणराज्य के डॉ. गेरहार्ड फिशर, बाबा आमटे, आयरलैंड के डॉ. जॉन ह्यूम, चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति वाक्लेव हवेल, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू, चंडी प्रसाद भट्ट और जापान के श्री योही ससाकावा को गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. साल 2019 में ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद और 2020 में बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.